भागलपुर:मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर तिलकामांझी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने अतिथि व्याख्याताओं ने शुक्रवार को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. अतिथि व्याख्याता संघ के बैनर तले डॉ आनंद आजाद के नेतृत्व में यह धरना प्रदर्शन किया गया.
धरना दे रहे अतिथि व्याख्याताओं का कहना है कि राजभवन के निर्देश के बावजूद भी विश्वविद्यालय पुराने मानदेय का भुगतान कर रहा है. जबकि यूजीसी के फैसले के बाद राजभवन ने निर्देश दिया है कि अतिथि व्याख्याता को 25 हजार के जगह 50 हजार मानदेय का भुगतान दिया जाए. निर्देश के बाद भी विश्वविद्यालय अतिथि व्याख्याताओं को नया मानदेय नहीं दे रहा है.
पुराना मानदेय देने का आरोप
अतिथि शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर निर्देशों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया. शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर बनाने में अतिथि शिक्षक योगदान दे रहे हैं. लेकिन अभी तक पुराने मानदेय ही दिया जा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि लॉकडाउन में अतिथि शिक्षक लगातार घर पर रहकर छात्रों से जुड़कर ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि शिक्षकों के प्रति उदासीनता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
यूजीसी ने निर्देशानुसार नहीं दिया जा रहा मानदेय
वहीं अतिथि व्याख्याता रितु कुमारी ने बताया कि यूजीसी और राजभवन के निर्देश के बावजूद भी विश्वविद्यालय हम लोगों का मानदेय नहीं बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि यूजीसी ने निर्देश दिया है कि अतिथि व्याख्याताओं को 1,500 रुपए प्रति क्लास के हिसाब से और अधिकतम 50,000 तक मानदेय का भुगतान किया जाए. लेकिन अभी भी हम लोगों को पुराने मानदेय का भुगतान किया जा रहा है. हमारी मांगे अब यदि नहीं मानी जाएगी तो लगातार हम लोग धरना प्रदर्शन करेंगे.
धरना पर बैठे अतिथि शिक्षक 50 हजार मासिक मानदेय दिया जाए
अतिथि व्याख्याता संघ के अध्यक्ष डॉ आनंद आजाद ने कहा कि राजभवन के निर्देश के बाद भी पुराने मानदेय का भुगतान किया जा रहा है. जिस वजह से लॉकडाउन में अतिथि व्याख्याताओं का हाल बेहाल हो गया है. उन्होंने कहा कि राजभवन का फैसला है कि अतिथि व्याख्याता को 25 हजार की जगह 50 हजार अधिकतम मासिक मानदेय दिया जाए. जो अभी तक इस विश्वविद्यालय की अतिथि व्याख्याताओं को नहीं मिल रहा है. इसलिए हम लोग अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.