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Bihar Agricultural University: अब बिना जमीन होगा हरे चारे का उत्पादन, बिहार कृषि विश्वविद्यालय में सफल प्रयोग - Experiment on hydroponic method in BAU

अब हाइड्रोपोनिक विधि से बिना जमीन के भी हरे चारे का उत्पादन ( green fodder was produced without land) हो पाएगा. यह प्रयोग बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर में किया गया है. इस सफल प्रयोग के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों के पशुपालकों और भूमिहीन पशु किसानों को काफी फायदा होगा. साथ ही इस विधि से कम लागत में सालोभर हरे चारे का उत्पादन किया जा सकेगा. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Apr 23, 2023, 5:43 PM IST

बीएयू में अब बिना जमीन होगा हरे चारे का उत्पादन

भागलपुरः बिहार के भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय(Bihar Agricultural University Bhagalpur) सबौर में किया गया एक प्रयोग पशुपालकों के लिए खुशखबरी लेकर आया है. दरअसल, बीएयू में हाइड्रोपोनिक विधि से हरा चारा उत्पादन को लेकर प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा. इस प्रयोग से शहरी क्षेत्र में रहने वाले पशुपालकों को काफी फायदा होगा. क्योकि इस विधि से हरा चारा उपजाने के लिए खेत या मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी और इससे डेयरी उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी.

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बिना जमीन के हो पाएगा हरे चारे का उत्पादन:किसानों को हरे चारे के लिए अक्सर फसल चक्र पर आधारित रहना पड़ता है. ऐसे में इस संकट से किसानों को उबारने के लिए बीएयू ने एक सफल प्रयोग के साथ एक अलग पहल शुरू की है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट व हाइड्रोपोनिक्स प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि महज 60 वर्ग फीट में आठ पशुओं के लिए हरा चारा हर दिन तैयार किया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक्स विधि के कई फायदे हैं. इसमें खेतों के मुकाबले एक चौथाई से भी कम खर्च में हरा चारा का उत्पादन हो सकता है.

"महज 60 वर्ग फीट में आठ पशुओं के लिए हरा चारा हर दिन तैयार किया जा सकता है. हाइड्रोपोनिक्स विधि के कई फायदे हैं. इसमें खेतों के मुकाबले एक चौथाई से भी कम खर्च में हरा चारा का उत्पादन हो सकता है" -डाॅ संजीव कुमार गुप्ता, इंचार्ज, हाइड्रोपोनिक्स प्रोजेक्ट

हाइट्रोपोनिक विधि से डेढ़ गुना ज्यादा होगा दूध उत्पादनः हाइड्रोपोनिक विधि से डेढ़ गुना तक दूध उत्पादन बढ़ सकता है. साथ ही यह चारा सालों भर मुहैया हो सकेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लिए यह वरदान साबित होगा. एक सर्वे के अनुसार प्राप्त रिजल्ट में गोवा और बिहार के किसानों के लिए यह विधि अधिक मुनाफा वाला है. गोवा में खेतिहर भूमि की का अभाव है. वहीं बिहार में भी पशुपालकों के पास ज्यादा जमीन नहीं होती है. इसलिए ऐसे किसान हाइड्रोपोनिक विधि से साल भर तक चारा पैदा कर सकें.

इस चारे में प्रोटीन की मात्रा होगी अधिकः पारंपरिक चारे में प्रोटीन आठ से नौ परसेंट होता है. वहीं हाइड्रोपोनिक्स विधि द्वारा तैयार चारा में 18 परसेंट प्रोटीन होता है. इससे दूध उत्पादन में 40 से 50% तक की बढ़ोतरी हो जाती है. पारंपरिक विधि में एक किलो ग्राम बीज में 50 से 60 लीटर पानी लगता है. वहीं इसमें 2 से 3 लीटर पानी लगेगा. इस प्रयोग को लेकर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डीआर सिंह ने बताया कि बीएयू ने हाइड्रोपोनिक तकनीक से हरा चारा उत्पादन की अच्छी पहल शुरू की है. जल्द ही विवि की ओर से युवाओं के लिए इसका प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, ताकि युवा किसानों को इसका मिल सके.

"हाइड्रोपोनिक तकनीक से हरा चारा उत्पादन की अच्छी पहल शुरू की है. जल्द ही विवि की ओर से युवाओं के लिए इसका प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा, ताकि युवा किसानों को इसका मिल सके" -डाॅ डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू

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