भागलपुरःबिहार के भागलपुर में एक मुस्लिम परिवार तीन पीढ़ियों सेबूढ़ानाथ मंदिरप्रांगण में मां दुर्गा की प्रतिमा के पास जगत जननी को खुश करने के लिए शहनाई वादन करता आ रहा है. ये मुस्लिम परिवार सालों से मंदिर में सुबह शाम शहनाई बजाकर कर गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल पेश कर रहा है. आस्था के आगे दो धर्मों की दीवार मानों यहां टूट गई है.
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माता रानी ने दिया था आशीर्वादः मंदिर में मौजूद लोगों ने बाताया कि माता रानी ने 100 वर्ष पहले इस मुस्लिम परिवार की झोली भरी थी. तब से इस परिवार की ऐसी आस्था जगी की दो धर्म की दीवार मानो टूट गई, यह मुस्लिम परिवार नवरात्रि में सुबह शाम भागलपुर के बुढ़ानाथ मंदिर में कई पीढ़ियों से शहनाई वादन करता है, अपने इस पुरखों की परंपरा को उस्ताद इलिल्ला खान के परिवार अभी तक संजोए हुए हैं. माता रानी के प्रति इस परिवार की अपार आस्था है.
40 वर्षों से चली आ रही परंपराः शहनाई की धुन से ही साधक और आस-पास के लोग जागते हैं. मानो शहनाई की आवाज से सवेरा हो रहा हो. उस्ताद इलिल्ला खान शहनाई वादन में महारत हासिल कलाकार थे, उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला था आकाशवाणी दूरदर्शन के भी वह अच्छे शहनाई वादक थे. उन्होंने मां की आराधना में शहनाई वादन कर परंपरा को आगे बढ़ाया और तीन पीढ़ियों के लोग 40 वर्षों से इस परंपरा को निभा रहे हैं.
शहनाई से गूंज उठता है मंदिर परिसरः 2017 में उस्ताद इलिल्ला खान की मृत्यु के बाद उनके भाई नजाकत अली, काजिम हुसैन, जहांगीर हुसैन उनके बड़े बेटे राशिद हुसैन और उनके बहनोई साजिद हुसैन बड़े भाई जाहिर हुसैन और भतीजा आजम हुसैन ने इस परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है. शहनाई वादन के समय राग भैरव, राग भैरवी, राग दुर्गा, राग बागेश्वरी, राग दरबारी जैसे कई रागों से पूरा मंदिर परिसर और आसपास के इलाके मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
बूढ़ानाथ मंदिर प्रांगण में शहनाई बजाते मुस्लिम "1984 से हमारा परिवार यहां शहनाई बजा रहा है. उस्ताद इलिल्ला खान बहुत नामी थे. माता रानी ने उनको बहुत कुछ दिया. बिहार के लोगों ने हमें पहचाना, हमें इज्जत दी. सबका अपना-अपना धर्म है सब धर्म अच्छा है. ये भेदभाव नहीं करना चाहिए. हमलोग तो सालों से यहां शहनाई बजा रहे हैं कही कुछ अगल नहीं लगा"- जहांगीर हुसैन, शहनाई वादक