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किसानों की अधिकृत जमीन का 9 साल बाद मिलेगा मुआवजा, गलती से बना दिया गया था तटबंध

भागलपुर में किसानों की अधिकृत जमीन का 9 साल बाद मुआवजा मिलने जा रहा है. साल 2012 में ही किसानों की जमीन पर अधिग्रहण कर टेंडर फाइनल कर लिया गया था. जिसके बाद मुआवजा राशि भी नहीं दी गई थी. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Oct 7, 2021, 7:21 AM IST

भागलपुर:बिहार के भागलपुर जिले में 9 साल बाद किसानों की जमीन का मुआवजा (Land Compensation To Farmers In Bhagalpur) दिया जाएगा. इसके लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर कमेटी का गठन कर लिया गया है. जिन किसानों की जमीन को तटबंध निर्माण के लिए लिया गया है, उसके लिए दर निर्धारित करने के लिए भी कमेटी गठित कर दी गई है. किसानों की जमीन को सत्यापित कर मुआवजा राशि दी जाएगी.

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चांदन नदी के बाढ़ से बचाने के लिए 2017 में बाढ़ प्रबंधन योजना के माध्यम से तटबंध (Embankment On Chanan River) का निर्माण कराया गया था. तटबंध निर्माण के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन मुआवजा राशि नहीं दी गई थी. जब मुआवजा देने का समय आया, तो विभाग ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि बांध का निर्माण गलती से हो गया है. लेकिन अब उसे तोड़कर पुराने स्थिति में लाया जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

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सिंचाई विभाग भागलपुर प्रमंडल ने दर्जनों गांव को बचाने के लिए 366 करोड़ 60 लाख रुपये खर्च कर चानन नदी पर तटबंध बना दिया था. इसके लिए किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था. हजारों पेड़ काटे गए और खड़ी फसलों को भी नष्ट कर दिया गया था. इसके साथ ही साथ किसानों से जमीन देने के लिए शपथ पत्र भी भरवाया गया.

तटबंध बनाने वाले ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया गया. जब किसानों ने जमीन मुआवजा की मांग की, तो सिंचाई विभाग, बाढ़ नियंत्रण व भू अर्जन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए. किसानों को दो टूक शब्दों में बता दिया गया था कि चानन नदी पर तटबंध गलती से बनाया गया है. इसे तोड़कर पूर्व की स्थिति में लाया जाएगा. इसलिए मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

चानन नदी के दोनों तट पर कुल 106.27 किलोमीटर की लंबाई में तटबंध बनाने के लिए वर्ष 2012 में टेंडर फाइनल हुआ था. इसके लिए भू अर्जन विभाग के माध्यम से किसानों की जमीन भी अधिग्रहण कर ली गई. किसानों को मुआवजा नहीं देकर ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया. किसान कभी सिंचाई विभाग तो कभी भू-अर्जन विभाग के कार्यालय का चक्कर लगाते रहे. लेकिन उन्हें सिर्फ रटा रटाया जवाब दिया जाता रहा.

विभाग द्वारा बनाए गए प्रतिबंध को हटाने की पूरी तैयारी गुप्त तरीके से अंदर ही अंदर की जा रही थी. वहीं, 4 साल पहले गोराडीह थाना क्षेत्र के फाजिलपुर गांव निवासी राजेश कुमार ने सूचना अधिकार के तहत चांदन नदी प्रबंधन परियोजना से संबंधित जानकारी मांगी. राजेश कुमार ने विभाग से पूछा था कि तटबंध पर किए गए कार्य का भुगतान संबंधित ठेकेदार को कर दिया गया है. जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी क्या उन्हें मुआवजा दिया गया.

राजेश कुमार के आवेदन के जवाब में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल भागलपुर के माध्यम से दी गई जानकारी के अनुसार जिन किसानों की जमीन ली गई है, उनमें किसी को भी अब तक मुआवजा नहीं मिला है. तटबंध का काम वर्ष 2012 में पूरा हुआ था. अब काम को रोक दिया गया है और 3 फरवरी 2017 को चंदन नदी के दोनों तरफ के तटबंध को हटाने के लिए विभाग को कहा जा चुका है.


'पूर्व में नदी पर तटबंध का निर्माण हुआ है और रैयतों का भुगतान होना है. उसके लिए कार्यपालक अभियंता के अनुरोध पर संभाविता के लिए जो कमेटी बनती है फिजिबिलिटी रिपोर्ट के लिए वह कमेटी बना दी गई है. जैसे ही रिपोर्ट आएगी फिर विभाग के स्तर पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.'-सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी

बताते चलें कि तटबंध निर्माण कार्य सिंचाई विभाग ने वर्ष 2012 में शुरू किया था. जैसे-जैसे काम होता गया तटबंध की लागत भी बढ़ती गई. पूर्व में निर्धारित लागत से लगभग 70% काम हुआ था. जिसका भुगतान भी संबंधित ठेकेदार को कर दिया गया है. इसके बाद जून 2016 में जब चानन नदी बाढ़ प्रबंधन योजना का काम बाढ़ नियंत्रण विभाग को हस्तगत हुआ, तो उसने रिवाइज्ड ऐस्टीमेट तैयार किया. रिवाइज्ड ऐस्टीमेट अभी स्वीकृति होता उससे पहले ही विभाग को अहसास हुआ कि यह तटबंध तो गलती से बन रहा है. इसके बाद से ही तटबंध का काम रोक दिया गया.

बाढ़ नियंत्रण विभाग भागलपुर अंचल के कार्यपालक अभियंता ने 26 अप्रैल 2017 को विभाग के अधीक्षण अभियंता को पत्र भेजा. उन्होंने पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार और सिंचाई भवन पटना ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट किया है कि चानन तटबंध योजना जानमाल की सुरक्षा प्रदान करने के बजाय पहले से ज्यादा क्षति पहुंचाने वाली हो गई है.

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