भागलपुर:नेपाल और सीमावर्ती जिलों में भारी बारिश के कारण जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है. लगातार हो रही बारिश के कारण इस साल गंगा में बाढ़ की आहट बीते वर्ष की तुलना में 2 महीने पहले ही दिखने लगी है. जिले में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
2019 में सितंबर के अंतिम सप्ताह में जिले में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था. जबकि इसी साल जुलाई और अगस्त में गंगा बेसिन का 50% हिस्सा खाली था. लेकिन इस बार परिस्थिति इसके विपरीत है. गंगा का जलस्तर लगातार खतरे के निशान के करीब पहुंच रहा है.
कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
बता दें कि कोसी नदी में बीरपुर बैराज से 32.24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. कोसी में पानी बढ़ने के कारण जिले में गंगा नदी के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है. जिसके कारण नदी किनारे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. नदी किनारे रहने वाले लोग सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन करने लगे है. गांगा ने इस साल का रिकॉर्ड स्तर छू लिया है. निचले इलाकों में बाढ़ से लोग घिरे हुए हैं. जलस्तर में वृद्धि से कई गांवों में पानी घुस गया है.
किया गया आश्रय स्थल का चयन
बाढ़ को लेकर बीते दिनों डीएम की ओर से समीक्षा बैठक हुई थी. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लिए मिले निर्देश के अनुसार जिला पशुपालन पदाधिकारी ने पशुपालकों के हित को ध्यान में रखकर 36 आश्रय स्थल के लिए 31 पशु चिकित्सक और 32 कर्मियों की नियुक्ति की है. पशुओं के लिए चारा और दवाई भी उपलब्ध करा दिया गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के अंचलाधिकारी की ओर से आश्रय स्थल का चयन कर लिया गया है और इसकी लिस्ट जिला आपदा शाखा को सौंप दी गयी है.