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भागलपुर : आम की बिक्री पर लॉकडाउन का दिख रहा असर, विक्रेता परेशान

कोरोना वायरस में आम के कारोबार पर भी अपना असर डाला है. आम की बिक्री करने वाले विक्रेता पर पूंजी डूबने का खतरा है, तो साथ ही घर परिवार चलाने की भी चिंता है. बाजार में आम खरीदने के लिए ग्राहक जो आ रहे हैं, वो मोलभाव अधिक कर रहे हैं, ऐसे में कीमत से भी कम भाव में आम को बेचना पड़ रहा है.

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Published : Jun 2, 2020, 6:54 AM IST

भागलपुर
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भागलपुर : जून का महीना आ गया और गर्मी भी है, ऐसे में अगर फलों के राजा आम की बात ना हो तो कुछ अधूरा सा लगता है. जी हां, गर्मी के मौसम में नाम लेने मात्र से ही आम की खुशबू जहन में उतर आती है. पिछले वर्ष इस महीने में आम की बिक्री खूब हो रही थी. मंडी सहित गली-मोहल्ले, चौक-चौराहे पर जगह-जगह ठेले पर आम की कई किस्म की खुशबू गमकती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में एक तो आम की आवक कम है ही, उसपर बिक्री भी कम हो रही है.

पूंजी डूबने का खतरा
आम की बिक्री करने वाले विक्रेता पर पूंजी डूबने का खतरा है. साथ ही घर-परिवार चलाने की भी चिंता है. बाजार में आम खरीदने के लिए ग्राहक जो आ रहे हैं, वो मोलभाव अधिक कर रहे हैं. ऐसे में कीमत से भी कम भाव में आम को बेचना पड़ रहा है.

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'लॉकडाउन हटे'
आम विक्रेता ब्रह्मदेव पासवान ने बताया कि ब्याज पर पैसा लेकर आम की खरीदारी की थी, लेकिन बिक्री नहीं हो रही है. बाजार में लोग कम आ रहे हैं, ऐसे में पूंजी डूबने की आशंका है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन को हटाया जाए, जिससे कि बाजार में लोगों की भीड़ होगी बिक्री भी अधिक होगी. वहीं आम विक्रेता चंदन पासवान ने कहा कि आम बिक नहीं रहे हैं, भूखे मरने की नौबत आ गई है. उन्होंने भी कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन हटे, लोगों की भीड़ बाजार में जुटे और हम लोगों का आम बिके. उन्होंने कहा कि आम रोज खरीद कर लाते हैं, लेकिन बिकता नहीं है. 1 से 2 दिन में आम सड़ने लगता है.

आम विक्रेता की हालत खराब
आम विक्रेता पप्पू कुमार कहते हैं कि इस समय आम की बिक्री पिछले वर्ष खूब हो रही थी. रोजाना 10 से 15 हजार की बिक्री होती थी, लेकिन अभी 5 से 6 हजार तक का ही हो रहा है. अब आम सड़ने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे पूंजी भी उसमें डूब जाएगी. बता दें कि मार्च से लेकर मई अंत तक कुल आम का 50% बिक्री हो जाता था, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से आम विक्रेता की हालत खराब है. बाजार में एक तो आम कम है. ऊपर से बिक्री भी नहीं हो रही है.

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