भागलपुर:सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक स्थित डॉल्फिन सेंचुरी पर इन दिनों जलकरों का कब्जा है. मछली व्यवसाय से जुड़े हुए लोग गंगा के बीच में जाल डालकर अवैध रूप से मछली का कारोबार कर रहे हैं, लेकिन सरकार के तरफ से इसके रोकथान के लिए किसी प्रकार का कदम नहीं उठाया जा रहा है.
डॉल्फिंस की जिंदगी के लिए खतरा
दरअसल, गंगा का कई हिस्सा अवैध रूप से मछली निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक लगभग 60 किलोमीटर का क्षेत्र डॉल्फिन सेंचुरी का है. जिसमें अच्छी खासी संख्या में डॉल्फिंस मौजूद हैं. लेकिन, सरकारी उदासीनता की वजह से मछली का व्यवसाय से जुड़े हुए लोग गंगा के बीच में जाल लगाकर डॉल्फिंस की जिंदगी के लिए खतरा बन गए हैं.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन
यहां साफ तौर से वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसी परिस्थिति में पदाधिकारी पूरी तरह से मौन धारण किए हुए हैं. ऐसे में सरकारी व्यवस्था की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा होता है. जहां एक तरफ डॉल्फिंस को बचाने के लिए कई संस्थाएं और सरकारी निर्देश बनाए गए हैं ताकि डॉल्फिन को संरक्षित कर इसकी जनसंख्या में वृद्धि की जाए. वहीं दूसरी तरफ अवैध रूप से मछलियों को निकाला जा रहा है.
सरकार के तरफ से नहीं हो रही कोई कार्रवाई
गंगा नदी के किनारे रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है की धड़ल्ले से मछली का व्यवसाय करने वाले लोग जाल को डाल देते हैं. विभाग के द्वारा कार्रवाई कर जाल को कब्जे में लेकर मछुआरों पर कार्रवाई करने का प्रावधान भी है. लेकिन, वन विभाग के पदाधिकारी फिलहाल जलकरों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और ना ही किसी तरह की मॉनिटरिंग की जा रही है. जिससे जाल लगाने से मछुआरों को रोका जाए डॉल्फिंस की जिंदगी पूरी तरह से सुरक्षित रहे.
पदाधिकारी ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
इधर, वन विभाग के पदाधिकारी को जब इसकी सूचना दी गई तो उन्होंने जल्द ही उन पर कार्रवाई करने की बात कही और साथ ही साथ प्रशासनिक पदाधिकारी के द्वारा मदद नहीं मिलने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि वन विभाग के पास फोर्स जैसी चीजें नहीं होती है, जिसकी मदद से इस तरह के कार्यों को रोका जा सके. लेकिन पदाधिकारियों से बात करने के बाद पुलिस प्रशासन के सहयोग से ऐसे दुस्साहस को रोका जा सकता है और डॉल्फिन को बचाया जा सकता है. फिलहाल डॉल्फिंस की जिंदगी इस सेंचुरी में काफी खतरे में दिख रही है और पूरा प्रशासनिक महकमा इसकी रोकथाम को लेकर कोई प्रयास करता हुआ नहीं दिख रहा है.