भागलपुर: कृष्णा बम अब किसी परिचय की मोहताज नहीं रह गई है. यहीकृष्णा बम अब 'मां कृष्णा बम' बन गई हैं. कृष्णा बम ने 39वें वर्ष भी डाक बम के रूप में उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर बैद्यनाथ धाम रवाना हुईं. इस दौरान उन्हें देखने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए रास्ते में हजारों लोग पंक्तिबद्ध खड़े रहते हैं.
कृष्णा बम को देखने के लिए उमड़ी भीड़ 12 से 14 घंटे में तय करती हैं देवघर का सफर
68 वर्षीय कृष्णा बम वर्ष 2013 में प्रधानाध्यापिका की पद से सेवानिवृत्त हुईं. वे सावन के प्रत्येक सोमवार को सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाती हैं और देवघर तक का सफर 12 से 14 घंटे में पूरा कर बाबा के दरबार में पहुंच जाती हैं. डाक बम के रूप में इस वर्ष उनका 39वां साल है.
कृष्णा बम बैद्यनाथ धाम जाते हुए पैर छूने को लोग रहते हैं ललायित
कृष्णा बम अब 'मां कृष्णा बम' बन गई हैं. उन्हें देखने और उनके दर्शन के लिए आधा घंटा पहले से कांवरिया मार्ग पर दोनों तरफ लोग लाइन में लग जाते हैं और उनके दर्शन के लिए बेचैन रहते हैं. लोग मां कृष्णा बम के पैर छूने को लालायित रहते हैं. जैसे ही उनका काफिला कांवरिया पथ में प्रवेश करता है. बोल बम के नारे से वातावरण गुंजायमान हो उठता है.
डाक कांवर है सबसे कठिन
डाक कांवर के महत्व के बारे कृष्णा बम कहती हैं कि सबसे कठिन डाक कांवर है. इसके नियम का पालन होना चाहिए. निरंतर चल कर जल अर्पण करना चाहिए. रुकने पर जल अशुद्ध हो जाता है. उन्होंने कहा कि बाबा नगरिया में जितने कांवरिया चलते हैं, उनकी आस्था देवघर से जुड़ी है. कांवरिया अपनी आस्था बरकरार रखें. बाबा सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.