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Bhagalpur Crorepati Chaiwala: सूट बूट में चाय बेचते हैं दीपक, बोले- 'करोड़पति चायवाला सुनना अच्छा लगता है' - ग्रेजुएट चाय वाली

एमबीए चायवाला, ग्रेजुएट चायवाली के बाद अब करोड़पति चायवाला चर्चा का विषय बना हुआ है. पढ़े लिखे युवा बिहार की सड़कों पर यूनिक नाम से दुकान खोलकर चाय बेच रहे हैं. ऐसा करना इनका शौक है या मजबूरी आईये भागलपुर के करोड़पति चायवाला से ही जानते हैं उनकी पूरी कहानी..

Crorepati Chaiwala in Bhagalpur
Crorepati Chaiwala in Bhagalpur

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Published : Feb 8, 2023, 5:42 PM IST

भागलपुर में करोड़पति चायवाला

भागलपुर:पिछले कुछ समय से चाय और चाय की दुकान ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं. चाय ने राजनीतिक रंग भी लिया और चाय पर चर्चा की बातें भी हुईं. वहीं चाय के दुकान के नाम भी ऐसे-ऐसे रखे गए कि किसी का भी ध्यान उस ओर आसानी से चला जाए.ग्रेजुएट चाय वाली, बेवफा चाय वाला, पगला बाबा चाय वाला, दुबई रिटर्न चाय वाला ऐसी ही चाय की दुकानें हैं जिन्होंने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी. अब भागलपुर के एक युवक ने करोड़पति चायवाला के नाम से दुकान खोली है. दीपक यादव नाम के इस युवक का कहना है कि कहीं नौकरी नहीं मिली तो चाय की दुकान ही खोल ली.

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भागलपुर में करोड़पति चायवाला दुकान की चर्चा:भागलपुर के नौजवान दीपक ने कहा कि मेरा सपना करोड़पति बनना है. मैं करोड़पति नहीं बन पाया इसलिए करोड़पति चायवाला नाम से दुकान खोली है. कम से कम लोग मुझे इसी बहाने करोड़पति तो कहेंगे. दीपक की इस करोड़पति चाय की दुकान में अमूमन मध्यम वर्गीय ही चाय की चुस्की लेने पहुंचते हैं.

"करोड़पति हो या रोडपति चाय सभी के जीवन का हिस्सा होता है. इसलिए मैंने अपनी चाय की दुकान का नाम करोड़पति चायवाला रखा है. जब लोग मुझे करोड़पति चाय वाला कहते हैं तो बहुत अच्छा लगता है. मेरा विजन करोड़पति बनना था."- दीपक यादव, मालिक, करोड़पति चायवाला

'बेरोजगारी से तंग आकर खोली दुकान':चाय की यह दुकान तिलकामांझी चौक से करीब 100 मीटर की दूरी पर लगाई गई है. इसका नाम देखकर ही लोग यहां चाय की चुस्की लेने के लिए पहुंचते हैं. सुबह से ही दुकान में ग्राहकों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. दीपक यादव ने कहा कि 2 साल बेंगलुरु में रहकर स्टडी की. ग्रेजुएट होने के बाद भी नौकरी नहीं मिली. बेराजगारी से तंग आकर चाय बेचने की सोची.

ग्रेजुएट दीपक सड़क पर चाय बेचने को मजबूर:दीपक बताते हैं कि उनकी चाय की दुकान पर शुद्ध दूध से चाय बनाई जाती है. दाम भी कम है.इस चाय की दुकान से ही भरण पोषण होता है. दुकान का नाम भी यूनिक है, लोग इसका नाम सुनकर आकर्षित भी होते हैं. दीपक यादव ग्रेजुएट हैं और चाय बेचने को मजबूर हैं. ऐसे में लाखों लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार पर सवाल खड़े होते हैं. युवाओं को रोजगार देने का वादा किया जाता है लेकिन जब रोजगार नहीं मिलता तो दीपक यादव जैसे युवा सड़क पर चाय बेचने को मजबूर हो जाते हैं.

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