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भागलपुर में बाढ़ से पशु पालक परेशान, पशुओं को नहीं मिल रहा है चारा - problem of feeding animals in floods

भागलपुर जिला प्रशासन ने बाढ़ जैसे हालात नहीं होने का हवाला देते हुए कई राहत शिविर को बंद कर दिया है. वही कई सामुदायिक किचन और पशु राहत केंद्र को भी बंद कर दिया है. जिसके चलते पशुओं के सामने चारे की समस्या हो गयी है. पढ़ें पूरी खबर.

भागलपुर में पशुपालक परेशान
भागलपुर में पशुपालक परेशान

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Published : Sep 1, 2021, 8:56 PM IST

भागलपुर:बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले में जिला प्रशासन ने बाढ़ जैसे हालात नहीं होने का हवाला देते हुए आधे से अधिक चल रहे बाढ़ राहत शिविर (Flood Relief Camp), सामुदायिक किचन (Community Kitchen) और पशु राहत केंद्र को बंद कर दिया है. ऐसे में पशु पालकों की चिंता बढ़ गई है. पशु पालक को अपने मवेशियों के चारे के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. बिना चारे के पशु दिन ब दिन भुख से परेशान हैं.

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पशु पालक चारे की तलाश में अपने पशुओं को बहियार चराने लेकर जा रहे हैं. वहीं हवाई अड्डा में एक पशुपालक अपनी भैंस को चराने के लिए बहियार लेकर गया था. जहां पानी होने के कारण भैंस को खेत में कुआं होने का पता नहीं चल सका और खेत में चरने के दौरान भैंस डूब गयी. जिससे भैंस की मौत हो गई.

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पशु पालक बुधो मंडल ने बताया कि वे अपने गांव अमरी से हवाई अड्डा रहने के लिए आये थे. भैंस को यहां बहुत कम चारा दिया जाता था. कल तक चारा मिला है. पशु पालक ने कहा कि दो डलिया चारा से भैंस का पेट नहीं भरता था इसलिए बहियार चराने के लिए लेकर गए थे. जहां चरने के दौरान भैंस खाई में चली गयी. वहां कुआं था. जिसमें वह डूब गई.

उन्होंने कहा कि कल दिन भर काफी खोजे मगर नहीं मिला. रात में हम लोग कुएं से भैंस को निकाल कर लाए हैं. पशु पालक ने कहा कि भैंस गर्भवती थी और वह एक-दो दिन में बच्चा देने वाली थी. भैंस को हाल ही में खरीद कर लाए थे. जिसके लिये साहूकार से कर्ज लिया था. उन्होंने कहा कि एक तो भैंस मर गई ऊपर से बाढ़ में सबकुछ तबाह हो गया. अब घर परिवार कैसे चलेगा इसकी चिंता हो रही है.

गौरतलब है कि भागलपुर के हवाई अड्डा में सैकड़ों की संख्या में पशु पालक अपने पशुओं को लेकर रह रहे हैं. यहां पर गाय, भैंस, बकरी और घोड़ा बड़ी संख्या में है. यहां रह रहे पशुपालकों को 28 अगस्त तक प्रशासन की ओर से चारा दिया गया. वह भी नियमित रूप से नहीं दिया जा रहा था. वहीं 28 अगस्त से राहत शिविर को बंद कर दिया गया. ऐसे में पशु पालक अपने पशु को लेकर बहियार जाने को मजबूर हैं.

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