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भागलपुर में 2 सिर, 4 हाथ और 3 पैर वाले अद्भुत बच्चे का जन्म, खबर फैलते ही देखने उमड़ पड़ी भीड़

भागलपुर के नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में एक अद्भुत बच्चे (Two Headed Child) का जन्म चर्चा का विषय बना हुआ है. बच्चे के दो सिर चार हाथ तीन पैर लेकिन शरीर एक ही था. जन्म लेने के कुछ ही देर बाद नवजात की मौत हो गई. पढ़िये पूरी खबर..

child with two heads
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Published : Aug 26, 2021, 1:09 PM IST

भागलपुर (नवगछिया): भागलपुर के नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल (Sub-Divisional Hospital, Naugachhia) में एक अद्भुत बच्चे (Two Headed Child) ने बुधवार के दिन जन्म लिया. इस बच्चे को दो सिर, चार हाथ, तीन पैर थे. हालांकि नवजात के जन्म के कुछ देर बाद ही मौत हो गई. जन्म लेते ही अनुमंडल अस्पताल में बच्चे को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया.

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बच्चे की मां का नाम सुभद्रा देवी है. वह धोबिनिया निवासी मनोज यादव की पत्नी है. मनोज यादव और सुभद्रा देवी का यह पांचवा बच्चा था. इससे पहले दोनों को चार संतानें हैं. बुधवार सुबह प्रसव के लिए सुभद्रा देवी को नवगछिया अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां पर चिकित्सकों की देख-रेख में उसने अद्भुत बच्चे ने जन्म दिया. इस बच्चे को दो सिर, चार हाथ और तीन पैर हैं. जन्म के कुछ ही देर बाद ही उसकी मृत्यु हो गई.

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मेरी बेटी को सुभद्रा को चार बच्चे पहले से हैं जिनमें तीन लड़की और एक लड़का है. यह पांचवा बच्चा था. जो पूरे 9 माह के बाद जन्म लिया था. प्रसव पीड़ा होने के बाद उसे नवगछिया अनुमंडल अस्पताल लाया गया जहां प्रसव होने के बाद पता चला कि बच्चा अलग संरचना वाला है. जुड़वा बच्चे के दो सिर, चार हाथ, तीन पैर हैं.-विमला देवी, बच्चे की नानी

जब बच्चे को अस्पताल परिसर में रखा गया तो लोगों ने उसे पैसा देना चालू कर दिया. कई लोग उसे भगवान का अवतार बताने लगे. वहीं बच्चे के परिजनों का आरोप है कि डेढ़ माह पहले भी उनका अल्ट्रासाउंड नहीं किया गया था.

अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर का पद खाली पड़ा हुआ है. इसकी लिखित सूचना हमने विभाग को दे दी है. अल्ट्रासाउंड एक्सपर्ट महिला डॉक्टर अस्पताल में नहीं है जिसके कारण अल्ट्रासाउंड नहीं किया जा सका था.- अरुण कुमार, चिकित्सक

इस संबंध में चिकित्सकों ने कहा कि जब बच्चे का शुक्राणु बनता है, उसी समय कुछ मामलों में उसमें विभाजन हो जाता है. इस कारण इस तरह का बच्चा जन्म लेता है. हालांकि यह बहुत कम ही लोगों में मिलता है. ऐसे बच्चे के जन्म लेने के बाद बचना मुश्किल रहता है. कभी-कभी जुड़वा बच्चा भी आपस में सट जाते हैं, और एक ही शरीर में दोनों पलने लगते हैं.

इधर बच्चे के परिजनों का कहना है कि वे लोग पहले से ही प्रसूता का नवगछिया अनुमंडल अस्पताल में करवा रहे थे. नियमित जांच की जा रही थी. लेकिन चिकित्सकों ने कभी भी यह नहीं कहा कि पेट में पल रहा बच्चा कैसा है. अगर चिकित्सक इसकी जानकारी पहले देते या बेहतर इलाज के लिए महिला को कहीं भेजते तो वे लोग जाने के लिए तैयार थे. लेकिन हमेशा चिकित्सकों ने कहा कि पेट में पल रहा बच्चा ठीक है.

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