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भागलपुरः बदहाली का दंश झेल रहे स्कूल में पढ़ रहे नौनिहाल, जमीन पर बैठकर लेते हैं शिक्षा - बरामदे में बैठकर पढ़ते है बच्चे

बिहार में शिक्षा को लेकर स्कूल की उपलब्धता, गुणवत्ता और सभी के लिए समान अवसरों का होना शुरू से अधर में लटका हुआ है. बिहार की शिक्षा व्यवस्था आज भी कुव्यवस्था का दंश झेल रही है.

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जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे

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Published : Dec 24, 2019, 8:27 AM IST

भागलपुरःकिसी भी बेहतर समाज की कल्पना बगैर शिक्षा के नहीं की जा सकती. बिहार राज्य कभी पूरी दुनिया का शिक्षा का केंद्र हुआ करता था. लेकिन मौजूदा हालात कि अगर बात करें तो शिक्षा की गुणवत्ता पर इन दिनों ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है. जहां एक तरफ सूबे की सरकार योजनाओं को लेकर पूरे बिहार में ढिंढोरा पीट रही है. वहीं, दूसरी तरफ सरकार के जरिए दी जा रही शिक्षा व्यवस्था में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

प्राथमिक विद्यालय में है शिक्षा की खराब व्यवस्था
जिले में ऐसे कई विद्यालय अभी भी हैं, जहां सिर्फ एक ही कमरे में सारी कक्षाएं चल रही हैं. हम बात कर रहे हैं भागलपुर के नाथनगर प्रखंड अंतर्गत रामपुर खुर्द के मुसहरी प्राथमिक विद्यालय की, जहां सभी क्लास के बच्चे एक ही जगह पर बैठकर पढ़ाई करते हैं और वहीं मीड डे मिल भी बनाया जाता है. अब आप शिक्षा की बदहाली का अंदाजा बखूबी लगा सकते हैं. क्या सभी क्लास के बच्चे एक ही जगह पर बैठ कर पढ़ सकते हैं ?

देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

एक कक्षा में चलती है सभी कक्षाओं की क्लासेस
मुसहरी प्राथमिक विद्यालय में दो शिक्षक हैं जो कि सारे बच्चों को पढ़ाते हैं. सभी बच्चे बरामदे पर बैठकर एक साथ ही पढ़ते हैं और उसी बरामदे पर पोषाहार का खाना भी बनता है. जो काफी खतरनाक है और कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. यह एक बड़ा सवाल हमेशा खड़ा होता है कि आखिर कैसे सभी कक्षाओं के बच्चे एक ही जगह पर बैठ कर पढ़ रहे हैं.

प्राथमिक स्कूल, मुसहरी

शिक्षकों ने कहा सही नहीं है व्यवस्था
बच्चों को तालीम देने वाले शिक्षकों का भी कहना है कि शिक्षा की जो व्यवस्था है वह अच्छी नहीं है. सभी को अलग-अलग कक्षा में रहने से अच्छे से पढ़ाई कराई जा सकती है. लेकिन व्यवस्था तो सरकारी है सरकार जब चाहेगी या जब सरकार की नींद खुलेगी तब शायद कक्षाएं अलग-अलग चल सकें. वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी मधुसूदन पासवान काफी प्रयास के बाद भी मीडिया से रूबरू नहीं हुए उन्होंने स्कूल की व्यवस्था पर कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया और मुलाकात भी नहीं की.

जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे

सच्चाई से परे है सरकार का दावा
बता दें कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में हर 30 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक और कम से कम 16 बच्चों के लिए एक शिक्षक होना चाहिए. लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा का प्रावधान है. वहीं, सरकार दावा करती है कि पूरे बिहार में केवल 3.5 फ़ीसदी बच्चे ही विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पढ़ाई करते बच्चे

बच्चों की उपस्थिति में लगातार गिरावट
बिहार को लेकर हाल में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 96.4 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक छात्र अनुपात ठीक नहीं है. 52.3 प्रतिशत स्कूलों में शिक्षक क्लास रूम का अनुपात ठीक नहीं है. 37% स्कूलों में अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है. 40% स्कूलों में पुस्तकालय नहीं है. नामांकन की दरों में भले ही सरकार विधि दिखा रही हो. लेकिन वर्ष 2007 से बच्चों की उपस्थिति में लगातार गिरावट आ रही है.

बच्चों को पढ़ाते शिक्षक

सरकार में प्रतिबद्धता का घोर अभाव है
विकास को लेकर राज्य की सरकार भले ही दावे कर रही है लेकिन शिक्षा को लेकर राज्य सरकार में प्रतिबद्धता का घोर अभाव है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के मुताबिक प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन बिहार में शिक्षा को लेकर स्कूल की उपलब्धता, गुणवत्ता और सभी के लिए समान अवसरों का होना शुरू से अधर में लटका हुआ है. बिहार की शिक्षा व्यवस्था आज भी कुव्यवस्था का दंश झेल रही है.

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