भागलपुरः एक मान्यता के अनुसार, 'किसी को सांप काट ले, तो उसकी लाश को नदी में प्रवाह कर देना चाहिए.' यह मान्यता कितनी सच है और इसमें कितनी सच्चाई है. इसकी जानकारी लिए बगैर लोग नदी में शव प्रवाह (Dead Body In River) कर रहे हैं. जिससे गंगा प्रदूषित (Ganga Polluted) हो रही है. यहां गंगा की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि घटना बांका के नवादा बाजार की है. स्थानीय निवासी डोमी पासवान के 24 वर्षीय बेटे मिथिलेश कुमार को सांप ने काट लिया था.
मौत के बाद उसे भागलपुर के बरारी घाट ले जाया गया. वहां डोम राजा ने शव को गंगा में प्रवाह करने के लिए एक लाख रुपए की मांग की. परिजन शव को लेकर कहलगांव घाट लेकर चले गए. जहां चार हजार रुपए में शव को गंगा में प्रवाह कर दिया. लेकिन उन्हें ऐसा करने से प्रशासन ने भी नहीं रोका. बता दें कि घाटों की निगरानी के लिए दंडाधिकारियों की भी नियुक्ति की गई ती.
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11 हजार रुपए पर अड़े डोम राजा
बरारी घाट पर शव को गंगा में प्रवाह करने के लिए डोम राजा ने परिजनों से एक लाख रुपए की मांग की. काफी मिन्नतों के बाद डोम राजा 11 हजार रुपए मांगने लगा. परिजन आर्थिक रूप से कमजोर थे. इस कारण वहां से कहलगांव घाट पहुंच गए. मृतक के भाई राजेश कुमार ने बताया कि बरारी घाट से शव को लेकर कहलगांव ले गए. वहां 4,000 रुपए खर्च कर शव गंगा में बहा दिया. पंद्रह सौ रुपया घाट पर डोम राजा ने लिया और 2,500 रुपया नाव वाले ने लिया. नाव पर बिठा कर बीच गंगा में ले जाकर केले के थंब पर उसे गंगा नदी में बहा दिया.
स्थानीय निवासियों ने भी देखा
वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शनिवार की शाम को 4:30 से 5:00 बजे के बीच दो ऑटो से कुछ लोग सर्पदंश से मौत हुए एक 24 वर्षीय युवक के शव को लेकर पहुंचे थे. कहलगांव के उत्तरवाहिनी गंगा किनारे श्मशान घाट में ले गए. परिजन अपने साथ केला का थंब भी लाए थे. शव को थछंब में बांध कर गंगा नदी में बहा दिया.
इलाज को ले गए थे बांका सदर अस्पताल
इलाज के लिए उसे पहले बांका के अस्पताल ले जाया गया. चिकित्सकों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे भागलपुर रेफर कर दिया गया. भागलपुर में इलाज के दौरान मिथिलेश की मौत हो गयी थी.
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घाट पर नियुक्त दंडाधिकारी कागज पर कर रहे ड्यूटी
कोरोना काल में डोम राजाओं की मनमानी को लेकर भागलपुर के लोगों ने मोर्चा खोला था. जिला पदाधिकारी से लोगों ने इसकी शिकायत की थी. शिकायत मिलने पर जिला पदाधिकारी ने घाटों की निगरानी के लिए दंडाधिकारी नियुक्त कर दिए. लेकिन दंडाधिकारी वहां कभी नजर नहीं आते हैं. सिर्फ कागज पर ड्यूटी कर रहे हैं. हालांकि श्मशान घाट के कुछ लोगों का यह कहना है कि 1 जून से उनकी सेवा घाट से हटा ली गयी है.
नदी में लाश प्रवाह करने पर सीधे जीवों पर होता है असर
बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा में मिली लाशों के बाद लावारिस लाशों को गंगा में बहाने से रोकने की कोशिशें तेज हो गई हैं. मगर गंगा के घाटों पर लाशों के मिलने का सीधा असर जीवनदायिनी गंगा के जल में रहने वाले जीवों पर पड़ रहा है. कई ऐसी भी जीव हैं, जो गंगा में ही पाए जाते हैं. उनपर भी काफी असर पड़ रहा है. अब तक गंगा के जल कितना संक्रमित हो चुका है, कितना नहीं. इस पर कोई भी कुछ दावे से नहीं कह सकता.