भागलपुर: केंद्र सरकार और राज्य सरकार कोरोना काल में जितना जोर स्वच्छता मिशन पर दिया है शायद ही कभी दिया हो. लेकिन आज भी कुछ ऐसे पंचायत हैं जो साफ-सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं. चाहे ग्रामीण बीमारियों के शिकार ही क्यों न हो जाएं. इससे उनका कोई वास्ता नहीं.
डायरिया और डेंगू होने का बना रहता है डर मामला कहलगांव प्रखंड के कुर्मा पंचायत का है, जहां वार्ड नंबर 13 में पक्की सड़क पर बस्ती के बीचो-बीच गंदगी की भरमार है. गंदगी ऐसी कि लोग 10 मिनट तक वहां खड़े ना हो पाएं. सफाई के अभाव में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. तलाब सड़क बन गया है, जिसमें बत्तख तैरते हैं.
मोहल्ले में जाने का यही है एकमात्र रास्ता
इस बात की जानकारी पंचायत प्रतिनिधि को दी गई है. लेकिन, राशि उपलब्ध नहीं होने की बात कह कर छोड़ दिया गया है. इस कोरोना काल में इतनी बड़ी लापरवाही भारी पड़ सकती है. जबकि मुख्यमंत्री के आदेश पर पंचायती राज विभाग की ओर से पंचायत स्तर पर साफ-सफाई को लेकर राशि भेजी गई है. इसके बावजूद किसी भी तरह का कोई काम यहां पर नहीं किया गया है. मोहल्ले में जाने आने का एकमात्र यही रास्ता है.
बस्ती के बीचो-बीच गंदगी की भरमार बीवी परवीन ने बताया कि 2 साल पहले यह सड़क बनी थी. सड़क बनने के बाद से ही यहीं दिक्कत हो रही है, क्योंकि पानी का निकास नहीं है. नाला को जाम ही छोड़ दिया गया है. बीबी रुखसार ने बताया कि दो-तीन साल से यहीं स्थिति है, जाने आने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है और घर पास होने की वजह से बीमारी होने का डर लगा रहता है.
अश्वासन के भरोसे चल रहा है काम
बीबी रुखसार ने बताया कि कई बार मुखिया और वार्ड पार्षद को बोला गया. लेकिन, सफाई का काम नहीं हुआ. ग्रामीण विकास पासवान ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सिर्फ ब्लीचिंग का छिड़काव किया गया था. लेकिन, सफाई नहीं कराया गया. यह स्थिति जब से सड़क बनी है तब से है. इसको लेकर कई बार अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक को लिखित और मौखिक शिकायत की गई है. लेकिन, सिर्फ अश्वासन ही मिला है.
डायरिया और डेंगू होने का बना रहता है डर
रास्ते और मोहल्ले के बीचो-बीच जल जमाव होने पर आसपास के लोगों को डायरिया और डेंगू होने का डर हमेशा लगा रहता है, लेकिन पानी निकासी के लिए प्रशासन अब तक कोई पहल नहीं कर रहा है. जलजमाव से फैल रही दुर्गंध के कारण लोग नाक पर रुमाल रखकर चलने को मजबूर हैं. मच्छरों का प्रकोप भी आसपास के घरों में इतना बढ़ गया है कि दिन में भी मच्छरदानी के अंदर रह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना कि इसकी शिकायत कई बार बीडीओ और एसडीओ को किया गया, वहां से सिर्फ आश्वासन मिला है.