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नवगछियाः दहेज हत्या के मामले में पति,देवर,ससुर और ननदोई को 10 वर्ष की कैद

दहेज हत्या के मामले में नवगछिया व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय की अदालत 4 लोगों को दोषी करार दिया गया है. इनमें पति, देवर, ससुर और जीजा शामिल हैं. सभी को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Nov 10, 2022, 11:04 PM IST

नवगछिया: भागलपुर जिला अन्तर्गत बिहपुर थाना क्षेत्र के झंडापुर ओपी के झंडापुर गांव में हुए वर्ष 2019 के दहेज हत्या के मामले में चार अभियुक्तों को दस वर्ष की सजा (4 convicted in dowry murder case) दी है. नवगछिया व्यवहार न्यायालय (Naugachia Civil Court ) के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अखौड़ी अभिषेक सहाय की अदालत में गुरुवार को सजा सुनायी गई. सजा पाने वाले अभियुक्तों में मृतका के पति झंडापुर निवासी सतीश कुमार ठाकुर, देवर राहुल कुमार, ससुर सकलदेव ठाकुर और इस्माइलपुर के महंत टोला निवासी जीजा अनिल ठाकुर शामिल हैं. सबों को भारतीय दंड विधान संहिता की धारा 304 बी, 120 बी में दस वर्ष सश्रम कारावास और धारा 201 में तीन वर्ष की सजा दी गयी है. सभी अभियुक्तों को पांच-पांच हजार अर्थदंड की सजा भी दी गयी है. अर्थदंड नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास की सजा होगी. सभी सजा साथ-साथ चलेगी.

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मार्च 2019 में हुई थी हत्याः5 मार्च 2019 को मधुसूदनपुर थाना क्षेत्र के वादरपुर गनौर गांव के निवासी उमेश ठाकुर की पुत्री कुसुम कुमार उर्फ डोली की हत्या गला दबा कर उसके ससुरालवालों ने कर दी थी. कुसुम उर्फ डोली और सतीश कुमार के बीच लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली थी. शादी के बाद सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था. कुछ दिन बाद ही ससुरालवालों द्वारा दो लाख रुपये, एक बाइक और सोने के जेवरात दहेज के रूप में मंग की गई. कुसुम के माता-पिता मुंबई में मजदूरी करते हैं. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इस कारण उनलोगों ने कुसुम के ससुरालवालों को दहेज देने से इनकार कर दिया. इस पर कुसुम उर्फ डोली को उसके ससुराल में तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाने लगा. कुसुम अपनी मां से सब कुछ मोबाइल फोन पर बताती थी.

पूरे परिवार का फोन ऑफ रहने पर हुई थी शंकाः5 मार्च 2019 को शिवरात्रि थी, लेकिन कुसुम ने अपने माता-पिता को एक बार भी फोन नहीं किया. कुसुम के सभी ससुरालवालों का भी मोबाइल स्वीच ऑफ आ रहा था. इसके बाद कुसुम के पिता उमेश ठाकुर ने झंडापुर में रहने वाले अपने भांजे मुकेश कुमार ठाकुर को फोन किया और उसे कुसुम की खैरियत लेने को कहा. अपने मामा के कहने पर मुकेश कुसुम के घर पर गए. जहां कोई नहीं था और कमरे में ताला लगा था. मुकेश ने मामले की सूचना पुलिस को दी.

बंद बोरे में मिली थी कुसुम की लाशः पुलिस ने मौके पर पहुंच कर कमरे का दरवाजा खोला तो एक बोरे में बंद कुसुम की लाश मिली. उसकी हत्या गला दबा कर की गयी थी. मुकेश के बयान के आधार पर मामले की प्राथमिकी दर्ज की गयी और अनुसंधान शुरू किया गया. मामले में सेशण ट्रायल चलाया गया, जिसके बाद चारों आरोपी दोषी पाए गए. मामले में अभियोजन संचालन अपर लोक अभियोजक अरुण कुमार साह उर्फ अरुण कसेरा ने किया.

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