भागलपुर: किसी भी आपदा या विपदा की घड़ी में इंसान के आत्मबल का इम्तिहान होता है. यह समय भी ऐसा चल रहा है. कोरोना एक वैश्विक महामारी है. इससे कोई भी देश अछूता नहीं रहा. इसने करोड़ों जिंदगियों को लील लिया है. मुश्किल की बात यह है कि इसका डर लोगों के जहन में बैठ गया है.
कोरोना की दूसरी लहर में यह डर लोगों में और अधिक देखा जा रहा है. संक्रमण की लहर में लड़ने की इच्छाशक्ति कमजोर पड़ती जा रही है. लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है, कि इस बीमारी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है हौसला. पॉजिटिव सोच और मजबूत मनोबल से कोरोना को हराया जा सकता है. ऐसी ही एक कहानी दोबारा भागलुपर से सामने आयी है.
60 के स्तर तक पहुंच चुका था ऑक्सीजन लेवल
भागलपुर जिले के कहलगांव निवासी धर्मेंद कुमार बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गये थे. संक्रमण के कुछ ही दिनों बाद उनकी हालत बेहद नाजुक हो गयी थी. जिसके बाद उन्हें मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था. लगभग फेफड़े का 80 फीसदी भाग संक्रमित हो चुका था. लेकिन उन्होंने सकारात्मक सोच और चिकित्सीय सलाह से उन्होंने कोरोना को मात दे दी. जिसके बाद अस्पताल से महज 10 दिन बाद ठीक होकर घर लौट आये.
शुरुआती दिनों में 104 डिग्री था बुखार
धर्मेंद्र ने बताया कि शुरूआती दिनों में उन्हें 104 डिग्री बुखार था, जबकि उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 65 के आस-पास पहुंच चुका था. उन्होंने कहा कि वे जरूर शारीरिक तौर पर कमजोर हो चुके थे, लेकिन कभी अपने मनोबल को कमजोर नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें मालूम था कि वे एक दिन ठीक तो हो ही जाएंगे.
धर्मेंद्र बताते हैं, 'इस मुश्किल घड़ी में घर वालों ने पूरा ध्यान रखा. दोस्त व परिजन लगातार सकारात्मक माहौल रखते थे. नकारात्मकता को दूर रखने के लिए यू ट्यूब पर कमेडी और हास्य कवि सम्मेलन देखते थे'.
अस्पताल में कई लोग ठीक हो रहे होते हैं तो कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है. सोचते थे कि अस्पताल में तो मौत और जिंदगी का आना जाना लगा रहता है. मौत को लेकर दुख होता है. लेकिन हमेशा पॉजिटिव रहने की जरूरत है. हर दिन ईश्वर की प्रार्थना कर अपने आप को मजबूत किया.-धर्मेंद्र