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हारेगा कोरोना: 80 फीसदी तक संक्रमित हो चुका था फेफड़ा, हौसले से कोरोना को दी मात

कोरोना ने न सिर्फ लोगों की जान ली है, बल्कि इच्छाशक्ति को तोड़ कर रख दिया है. वहीं, कोरोना को हराने में यही इच्छाशक्ति सबसे कारगर हथियार है. इसकी कहानी भागलपुर के कहलगांव से सामने आयी है. जहां 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित हो जाने के बावजूद हिम्मत और हौसल से एक व्यक्ति ने कोरोना को मात दी है. पढ़ें पूरी खबर...

भागलपुर
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Published : May 17, 2021, 10:21 AM IST

Updated : May 17, 2021, 10:44 AM IST

भागलपुर: किसी भी आपदा या विपदा की घड़ी में इंसान के आत्मबल का इम्तिहान होता है. यह समय भी ऐसा चल रहा है. कोरोना एक वैश्विक महामारी है. इससे कोई भी देश अछूता नहीं रहा. इसने करोड़ों जिंदगियों को लील लिया है. मुश्किल की बात यह है कि इसका डर लोगों के जहन में बैठ गया है.

कोरोना की दूसरी लहर में यह डर लोगों में और अधिक देखा जा रहा है. संक्रमण की लहर में लड़ने की इच्छाशक्ति कमजोर पड़ती जा रही है. लेकिन यह भी याद रखना जरूरी है, कि इस बीमारी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है हौसला. पॉजिटिव सोच और मजबूत मनोबल से कोरोना को हराया जा सकता है. ऐसी ही एक कहानी दोबारा भागलुपर से सामने आयी है.

धर्मेंद्र

60 के स्तर तक पहुंच चुका था ऑक्सीजन लेवल
भागलपुर जिले के कहलगांव निवासी धर्मेंद कुमार बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गये थे. संक्रमण के कुछ ही दिनों बाद उनकी हालत बेहद नाजुक हो गयी थी. जिसके बाद उन्हें मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक गिर चुका था. लगभग फेफड़े का 80 फीसदी भाग संक्रमित हो चुका था. लेकिन उन्होंने सकारात्मक सोच और चिकित्सीय सलाह से उन्होंने कोरोना को मात दे दी. जिसके बाद अस्पताल से महज 10 दिन बाद ठीक होकर घर लौट आये.

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शुरुआती दिनों में 104 डिग्री था बुखार
धर्मेंद्र ने बताया कि शुरूआती दिनों में उन्हें 104 डिग्री बुखार था, जबकि उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 65 के आस-पास पहुंच चुका था. उन्होंने कहा कि वे जरूर शारीरिक तौर पर कमजोर हो चुके थे, लेकिन कभी अपने मनोबल को कमजोर नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें मालूम था कि वे एक दिन ठीक तो हो ही जाएंगे.

धर्मेंद्र बताते हैं, 'इस मुश्किल घड़ी में घर वालों ने पूरा ध्यान रखा. दोस्त व परिजन लगातार सकारात्मक माहौल रखते थे. नकारात्मकता को दूर रखने के लिए यू ट्यूब पर कमेडी और हास्य कवि सम्मेलन देखते थे'.

अस्पताल में कई लोग ठीक हो रहे होते हैं तो कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है. सोचते थे कि अस्पताल में तो मौत और जिंदगी का आना जाना लगा रहता है. मौत को लेकर दुख होता है. लेकिन हमेशा पॉजिटिव रहने की जरूरत है. हर दिन ईश्वर की प्रार्थना कर अपने आप को मजबूत किया.-धर्मेंद्र

पति-पत्नी दोनों हो गये थे कोरोना पॉजिटिव
वहीं, धर्मेंद्र की पत्नी खुशबू कुमारी ने बताया कि वे और धर्मेंद्र दोनों कोरोना के लक्षण दिखने लगे थे. जिसके बाद सिविल अस्पताल जाकर कोरोना जांच कराई. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बिना घबराए डॉक्टरों से सलाह लेकर घर में क्वारंटाइन कर लिया. इस दौरान दोनों छोटे बच्चों को हम दोनों से दूर रखा.

पति-पत्नी दोनों हुए थे कोरोना संक्रमित

'मैं तो ठीक हो गई, लेकिन पति की हालत बिगड़ती चली गयी. इसके बाद मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया. उस दौरान ऑक्सीजन की काफी किल्लत थी. मन में डर था कहीं कुछ हो ना जाए. बावजूद इसके हिम्मत से काम लिया. अस्पताल में 24 घंटे ऑक्सीजन उपलब्ध था . जिससे मेरे पति स्वस्थ होकर अब घर लौट चुके हैं'.- खुशबू, धर्मेंद्र की पत्नी

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सीटी स्कैन में 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित दिखा
वहीं, उन्होंने कहा कि अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने के दिन जब धर्मेंद्र का सीटी स्कैन कराया गया तो रिपोर्ट काफी भयावह था. तीन-चार दिन बाद भी 80% फेफड़े में संक्रमण था. फिर भी मैं नहीं घबराई. खुशबू ने कहा कि सिटी स्कैन रिपोर्ट आने के बाद पौष्टिक भोजन दिया. विटामिन सी युक्त फल दिनचर्या में शामिल किया.

वहीं, धर्मेंद्र के बड़े भाई जितेंद्र ने कहा कि भाई को जब कोरोना हुआ तो वे कुछ दिनों तक अपने घरों में ही रहे. वहीं, उनकी पत्नी तो स्वस्थ हो गई . लेकिन धर्मेंद्र की तबीयत बिगड़ती चली गयी. खांसी के साथ तेज बुखार आने लगा. उस समय ऑक्सीजन की किल्लत पूरे राज्य भर में जबरदस्त थी. लेकिन मायागंज अस्पताल में उस वक्त ऑक्सीजन मौजूद रहने की वजह से धर्मेंद्र की जान बच पायी.

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Last Updated : May 17, 2021, 10:44 AM IST

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