बेगूसराय: कोटा में मेडिकल और इंजिनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्र छात्राओं के लिए सोमवार का दिन बेहद खास रहा. दरअसल, पिछले एक महीने से भी अधिक समय तक लॉकडाउन में फंसे रहने के बाद छात्रों की घर वापसी हुई. ईटीवी भारत से बात करते हुए छात्रों के आंखों में आंसू छलक पड़े. अधिकतर छात्रों ने कोटा में फंसे रहने के कारण मेंटल डिप्रेशन की बात कहीं. वहीं, कई छात्र सरकार की ओर से की गई व्यवस्था पर सवाल भी उठाते नजर आए.
'कोरोना ने लगाया सपनों पर ब्रेक'
वापस आए छात्रों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बड़े सपने लेकर कोटा पढ़ने के लिए गए थे. लेकिन कोरोना संकट ने बीच में ही उनके सपनों पर ब्रेक लगा दिया. छात्रों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से उन्हें खाने, रहने में परेशानियों का सामना करना पर रहा था.
'रास्ते में पानी तक नहीं मिला'
छात्रों ने बताया कि राजस्थान और बिहार सरकार ने हमलोग के लिए घर वापस जाने की व्यवस्था की थी. वहीं, एक अन्य छात्र ने कहा कि कोटा प्रशासन ने उन्हें घर वापस जाने को लेकर एक मैसेज भेजा. घर वापसी के लिए हमलोगों से रुपया नहीं लिया गया. लेकिन रास्ते में हमलोग पानी के लिए भी तरस गए.
'वोट के लिए ढोंग कर रही सरकार'
अधिकतर छात्र जहां सरकार की ओर से की गई व्यावस्था को लेकर खुश दिखे. वहीं, कुछ छात्रों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुविधा के नाम पर सरकार ने कई घोषणाएं जरूर की हैं. लेकिन वे सुविधाएं केवल सरकारी कागज पर है. सरकार वोट के लिए केवल ढ़ोंग कर रही है. छात्रों का आरोप है कि रास्ते में उन्हें रास्ते में पानी तक नहीं मिला. वहीं कुछ छात्रों ने बेगूसराय जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए.
गौरतलब है कि कोटा में फंसे बिहार के छात्रों के लिए प्रदेश में काफी सियासी हंगामा भी हो रहा था. मुख्य विपक्षी पार्टी राजद नीतीश सरकार पर खुलकर हमला बोल रही थी. बता दें कि इससे पहले कोटा से स्पेशल ट्रेन के माध्यम से मजदूर वापस आए थे. उसके बाद अब कोटा से ही छात्रों को लेकर स्पेशल ट्रेन बरौनी जंक्शन पहुंची. हालांकि, सुविधा-असुविधा के सावल पर अभिभावकों ने कहा कि इस संकट काल में उनके बच्चे की घर वापसी हुई. यही काफी है.