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पढ़ें, समस्तीपुर के मासूम की कहानी, जिसे मम्मी-पापा दिल्ली में 'अंकल' के यहां छोड़ आए थे

लॉकडाउन के पहले दिल्ली में एक मजदूर परिवार अपने बच्चे को किसी संबंधी के यहां छोड़ आया था. इसके बाद उन संबंधियों ने बच्चे को घर से बाहर निकाल दिया.

घर की याद में भर आती थीं आंखें
घर की याद में भर आती थीं आंखें

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Published : May 23, 2020, 4:48 PM IST

Updated : May 24, 2020, 9:22 AM IST

नई दिल्ली/पटना: कोरोना से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन ने ऐसी-ऐसी तस्वीरें और कहानी सामने रखी हैं, जिससे ह्रदय पसीज उठता है. कभी सूटकेस में बच्चे को घर ले जाती एक मां की तस्वीर, तो कभी पिता को घर ले जाने के लिए हजारों किलोमीटर साइकिल चलाने वाली ज्योति की तस्वीर. ऐसी ही एक दास्तां समस्तीपुर से जुड़ी है.

दरअसल, लॉकडाउन लागू होने से पहले समस्तीपुर का एक मजदूर परिवार दिल्ली से वापस अपने घर आ गया था. लेकिन अपने बच्चे को वहीं दिल्ली में किसी संबंधी के यहां छोड़ आया. कोरोना संक्रमण बढ़ा, तो देशभर में लॉकडाउन लगाया गया. इसके बाद संबंधियों ने मासूम को घर से बाहर निकाल दिया.

घर की याद में सो जाता था मासूम

पार्क की बेंच बनीं सहारा
संबंधियों के निकाले जाने के बाद मासूम ने दिल्ली के द्वारका स्थित एक पार्क को अपना आशियाना बना लिया. न जेब में पैसे और न घर पर बात करने के लिए फोन, ऊपर से सड़कों पर सन्नाटा. ऐसे में उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे भी तो क्या करे.

घर की याद में भर आती थीं आंखें

कुत्तों को खाना देने वाली महिला की पड़ी निगाह
दिन किसी तरह काट रहा मासूम, पार्क की बेंच में कुत्तों के साथ सोने को मजबूर था. पार्क में कुत्तों को रोज खाना खिला रही महिला योगिता ने पहले जब इस बच्चे को देखा, तो ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उसके बाद रोजाना उसे वहां देख योगिता ने बच्चे से पूछताछ की और उसकी मदद की. योगिता ने सोशल मीडिया पर बच्चे की तस्वीर को पोस्ट कर मदद की गुहार लगाई.

स्नेहा सिंह ने बताई पूरी दास्तां

स्नेहा ने ईटीवी भारत को बतायी पूरी कहानी
हमने इस मामले को लेकर द्वारका सेक्टर-1 में रहने वाली स्नेहा सिंह से बात की. स्नेहा ने बताया कि योगिता के इंस्टाग्राम पेज पर बच्चे की फोटो देखी. इसपर मैंने उनसे संपर्क किया. उन्होंने पार्क का नाम बताया और वहां पहुंच मैंने बच्चे से पूरी जानकारी ली. बच्चे ने स्नेहा को बताया कि अंकल ने उन्हें लॉकडाउन के दौरान घर से निकाल दिया. उसके बाद वो पब्लिक टॉयलेट पर रहा फिर पार्क चला आया.

पार्क का शेरू बना दोस्त

सोशल मीडिया से पहुंची मदद
पार्क में मासूम को इस हालात में देख स्नेहा ने ट्वीट कर मासूम की मदद की गुहार लगाई. स्नेहा ने अपने ट्वीट पर लिखा, 'एक बच्चा समस्तीपुर अपने परिजनों के पास लौटना चाहता है. उसके परिजन उसे लॉकडाउन से पहले अंकल के घर छोड़ आए थे. जिन्होंने उसे पार्क में रहने के लिए छोड़ दिया है. सड़कें सुरक्षित नहीं हैं.' स्नेहा ने इस ट्वीट के साथ इंडिया केयर्स को टैग किया.

इन आईपीएस अधिकारियों ने की मदद
आईपीएस अरुण बोथरा और आईपीएस संजय कुमार ने इस ट्वीट को संज्ञान में लेते हुए पीड़ित मासूम की मदद की. उन्होंने पटना से परिजनों को दिल्ली बुलाने का इंतजाम किया. क्योंकि बच्चे को अकेले पटना भेजने में दिक्कत थी.

मम्मी-पापा से मिला उनका लाल

अपने परिवार से मिला बच्चा
शनिवार को मासूम के परिजन दिल्ली पहुंचे. इस दौरान आईपीएस अधिकारियों की टीम लगातार, बच्चे के माता-पिता के संपर्क में रही. आज बच्चे से मिल उसके माता पिता की आंखों में आंसू आ गए. आईपीएस अरुण बोथरा ने ट्वीट कर पूरे मामले की जानकारी दी. वहीं, स्नेहा से हुई फोन पर बातचीत में उन्होंने बताया कि परिजन जहां किराये पर रहते हैं, वहां बच्चे समेत पहुंच गए हैं. बच्चे के पापा की नौकरी छूट गई है. वो गार्ड की नौकरी करते थे, अब फिर से नौकरी की तलाश करेंगे.

बता दें कि आईपीएस अरुण बोथरा ने देशभर में 3 हजार सक्रिय वॉलंटियर्स के साथ इस तरह के काम कर रहे हैं. इंडिया केयर्स-2020 उनके द्वारा संचालित किया जा रहा है.

Last Updated : May 24, 2020, 9:22 AM IST

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