बेगूसराय: 'किसी शिक्षक के छात्र पर जब मुकदमा चलता है तो दुख होता है. मैंने कभी कन्हैया को गलत शिक्षा नहीं दी. वर्तमान में कन्हैया को भाषा की मर्यादा रखने की जरूरत है. प्रधानमंत्री के लिए कन्हैया जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं, वह गलत है.' ये शब्द उस शिक्षिका के हैं, जिन्होंने बचपन में कन्हैया कुमार को शिक्षा दी. कन्हैया ने बेगूसराय के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की थी. वह साल 1992 में इस स्कूल में आए थे.
जिस शिक्षिका ने बचपन में कन्हैया कुमार का हाथ पकड़कर पढ़ना-लिखना सिखाया, ईटीवी भारत की टीम उनसे मिलने बेगूसराय पहुंची. कन्हैया की शिक्षिका आज अपने छात्र को देखकर ठगा हुआ महसूस कर रही है. शिक्षिका उर्वशी देवी का कहना है कि कन्हैया को अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.
शिक्षिका से मिलने पहुंचे ईटीवी संवाददाता साल 1992 में लिया था दाखिला
मालूम हो कि कन्हैया कुमार ने बचपन की पढ़ाई अपने ही पैतृक गांव बरौनी प्रखंड के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में की. बाद में वह जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी तक काबिज हुए. कन्हैया कुमार ने साल 1992 में प्राथमिक विद्यालय मसनदपुर में दाखिला लिया था और पांचवी तक की पढ़ाई इसी विद्यालय से पूरी की थी.
रजिस्टर में दर्ज कन्हैया का नाम बचपन में तेज तर्रार थे कन्हैया
ईटीवी भारत संवाददाता ने इस विद्यालय का दौरा किया. विद्यालय के अभिलेखों में कन्हैया के दाखिले के सबूत मिले हैं. उस समय की एक रिटायर्ड शिक्षिका अभी जीवित हैं. उन्होंने कन्हैया के बारे में विस्तार से बताया. उर्वशी देवी ने बातचीत के दौरान कहा कि बचपन में कन्हैया जब यहां पढ़ने आते थे तो काफी तेज तर्रार छात्र थे. स्कूल में हर तरह की एक्टिविटी में शामिल होते थे.
'देशद्रोही के तमगे से आहत हूं'
उर्वशी देवी से जब यह पूछा गया कि कन्हैया कुमार पर जो आरोप लगे हैं, उसे आप क्या मानती हैं? इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चा आगे चलकर क्या कहेगा और क्या करेगा यह कोई शिक्षक नहीं बता सकता. लेकिन, जो आरोप कन्हैया पर लगे हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट 'उससे मिलूंगी तो बहुत कुछ समझाऊंगी'
उर्वशी देवी ने कन्हैया की भाषण शैली और कन्हैया पर लगे आरोपों तथा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कन्हैया की लगातार अभद्र टिप्पणी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि आदमी को कभी भी अपना संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए. वैसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे किसी को तकलीफ हो. आज कन्हैया जिस तरीके से देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं. वे कहती हैं कि जब वह कन्हैया को मिलेंगी तो उन्हें समझाने का प्रयास करेंगी.
फोन पर होती है बात
बेगूसराय के छोटे से गांव से निकलकर जेएनयू में पढ़ाई और फिर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने और फिर लोकसभा चुनाव तक के सफर पर उर्वशी देवी ने कहा कि वह बार-बार कन्हैया को समझाती हैं. वे कहती हैं कि:
'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय'
उर्वशी देवी के बयान से यह साफ जाहिर है कि वह कन्हैया से काफी आहत हैं. लेकिन, उन्होंने अंत में यह भी कहा कि 'मुझे माफ करना कन्हैया लेकिन, तुम्हें अपने आप में बदलाव लाना चाहिए. यह बातें मैं तुम्हारी शिक्षिका होने के नाते बोल रही हूं'