बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय कांड का अनुसंधान(Begusarai case investigation) पुलिस आधुनिक तरीके से कर रही है. इस कांड में आरोपियों की गिरफ्तारी बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से की जा रही है. जिन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है उनके खिलाफ साइंटिफिक एविडेंस कोर्ट में केस को मजबूत करेंगा. बता दें कि बेगूसराय गोलीकांड में पहली बार फॉरेंसिक टीम ने थ्री डी लेजर कैमरे का इस्तेमाल, घटना स्थल पर सीन को रिक्रिएट करने के लिए किया है. यह पांच स्थानों पर किया गया जहां फायरिंग की घटना हुई थी. घटना से मिली खाली कारतूस का बैलिस्टिक जांच किया जा रहा है.
पढ़ें-बेगूसराय गोलीकांड के चारों आरोपी गिरफ्तार, NH पर मारी थी 11 लोगों को गोली
मोबाईल सर्विलांस टीम ने निकाला कॉल डंप: दअरसल बेगूसराय गोलीकांड मामले का प्लानर चुनचुन कितना शातिर है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसी ने पुलिस को हमलावारो का सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध कराया था. वह दो दिनों तक पुलिस के साथ ही उनके अनुसंधान में रहा, लेकिन जब मोबाईल सर्विलांस की टीम ने कॉल डंप निकाला तो चुनचुन की संलिप्तता सामने आ गई. चुनचुन इसी लिए कैमरा के सामने था ताकि उस पर किसी को शक ना जाए.
फरार है दो हिस्ट्री शिटर: जानकारी के अनुसार चुनचुन का भतीजा है नागा केशव. वह आर्म्स एक्ट के मामले में पहले भी जेल जा चुका है. वो भी खुद बाइक पर नहीं था, मोबाइल से ही संपर्क में था. एक बाइक को युवराज चला रहा था जबकि सुमित पीछे बैठा था. दूसरी बाइक को प्रिंस उर्फ गोल्डी चला रहा था और नीतीश फायरिंग कर रहा था. नीतीश हिस्ट्री शिटर अपराधी है जिसकी तलाश एस टी एफ को भी है. ये दोनों अभी फरार है और उनकी गिर्फतारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
घटना के बाद घर पर थे आरोपी: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घटना के बाद जब बेगूसराय पुलिस के साथ 6 जिले की पुलिस सुमित और युवराज की तलाश कर रही थी, तब वह आराम से अपने घर पर थे. एन एच 28 से लेकर एन एच 31 तक दहशत मचाने के बाद दोनों बाइक पर सवार हमलवार सिमरिया से पटना की तरफ भागने की बजाये सिमरिया पुल से नीचे उतरकर बिन्द टोली की तरफ से ग्रामीण सड़को से होते हुए वापस अपने घर आ गए थे. मामले में युवराज ने गिरफ्तारी के बाद सारे राज खोले थे. मामले में अभी नीतीश और प्रिंस फरार है. नीतीश की कई गर्लफ्रेंड है और वो अय्याशी के लिए ही अपराध करता है.
क्या है वारदात का मकसद:अब तक की जांच में सामने आया है कि पूरी वारदात को अंजाम देने का मकसद इलाके में खौफ पैदा करना था. आरोपियो के पास से मिले मोबाइल में हथियारों से लेकर शराब की खरीद बिक्री तक के सबूत है. इसलिए उनके मोबाइलो को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब में भेजा गया है. घटना के दिन भी इलाके में इनकी शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. लेकिन पुलिस ने उसको गायब कर दिया था, जिसके लिए इन्हें प्रशासन से नाराजगी थी. सभी तेजी से अपने गिरोह का दबदबा कायम करना चाहता था.
पढ़ें-बेगूसराय गोलीकांड: बिहार पुलिस के पास नहीं है जवाब, कहां छिपे है बाकी दो शूटर?