बेगूसराय: बिहार में पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार चल रही है. लेकिन बिहार में शिक्षा के हालात सुधरने की जगह बिगड़ती जा रही है. बल्कि यू कहे तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई है. शिक्षा में सुधार के लिए कोरोना की तरह एंटीबायोटिक का उपयोग करना होगा. ऐसा बिहार के शिक्षा मंत्री ने शिक्षा व्यवस्था पर उंगली उठाते हुए कहा है.
कार्यक्रम के दौरान मुर्दाबाद के लगाए गए नारे
सर गणेश दत्त की जयंती और बेगूसराय जीडी कॉलेज की स्थापना दिवस के मौके पर बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने सीधे तौर पर माना है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पटरी पर नहीं है. शिक्षा मंत्री के बेगूसराय का कार्यक्रम आंदोलन के भेंट चढ़ गया. जब पूरे कार्यक्रम में नियोजन के इंतजार में बैठे टीईटी पास अभ्यर्थियों ने मंत्री के भाषण के बीच मे जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे. जिससे शिक्षा मंत्री बौखला गए और उन्होंने सारा ठीकरा नियोजित शिक्षकों पर फोड़ा. इस दौरान मंत्री ने नियोजित शिक्षकों को निशाने पर लेते हुए उन्हें शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का जिम्मेदार ठहराया.
शिक्षा व्यवस्था में आई गिरावटपिछले 15 सालों से शिक्षा में परिवर्तन की जगह गिरावट आई तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है, यह जनता तय करेगी. लेकिन शिक्षा मंत्री ने शिक्षा में सुधार के लिए जिस एंटीबायोटिक की चर्चा की है वो कब बनेंगी और और इसका इस्तेमाल कब होगा ये भविष्य की गर्भ में है.
छात्रों ने दिखाया काला झंडा
बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. शिक्षक नियोजन की मांग करने वाले अभ्यर्थियों ने मुर्दाबाद का नारा लगाया. वहीं कॉलेज परिसर से निकलने के दौरान राजद के छात्रों ने युवा ने शिक्षामंत्री की गाड़ी को चारों ओर से घेर कर काफी दूर तक काला झंडा दिखाया.
पोस्टर लेकर हंगामा करते लोग. छात्रों ने लहराया पोस्टर
इस दौरान शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पूरी करने की मांग को लेकर टीईटी पास अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए जमकर पोस्टर लहराया. शिक्षा मंत्री ने भी आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों को खरी-खोटी सुनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस तरह से हंगामा करने से कुछ नहीं होगा, दूध का जला हुआ छाछ भी लोग फूंक-फूंक कर पीते हैं. इसलिए पूरी प्रक्रिया के साथ काम होगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि आप लोग जो कर रहे हैं यह अनुशासनहीनता है.