बेगूसराय: बिहार ही नहीं देश में लोक आस्था के महापर्व छठ ( Chhath Puja ) का बड़ा महत्व है. सूर्य उपासना के इस पर्व पर मल्लिक समाज ( Mallik Samaj ) के द्वारा बनाए गए बांस का सूप छठ पूजा पर खास महत्व रखता है. इसके बिना छठ पूजा की कल्पना नहीं की जा सकती. हालांकि वर्तमान में छठ पूजा पर आधुनिकता का रंग का चढ़ चुका है. छठ पूजा में लोग बांस की सूप और दउरा की जगह पीतल और दूसरी धातुओं के बने समानों का प्रयोग कर रहे हैं. इसका सीधा प्रभाव मल्लिक समाज पर पड़ रहा है. जिससे उनकी आर्थिक हालत खराब हो रही है.
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मंहगाई की मार कुटीर उद्योगों पर पड़ रही है. जिससे छोटे उद्योग-धंधे काफी प्रभावित हो रही है. सैकड़ों लोगों के हाथों को काम दिलाने वाले कुटीर उद्योग कहीं न कहीं सरकारी उपेक्षा, बढ़ती महंगाई और आधुनिकता के बीच दम तोड़ रहा है. जो छठ पूजा पर मल्लिक समाज की पीड़ा छलक रही है. इससे हमारी सभ्यता और संस्कृति पर भी कहीं न कहीं फर्क पड़ रहा है. धातु के सूप और दउरा आदि के बाजार में आ जाने से श्रद्धालु पुरानी संस्कृति को भूल रही है. जिसका खामियाजा मल्लिक समाज की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.
जिससे मल्लिक समाज की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बेहद खराब होती जा रही है. इसके अलावा बढ़ती महंगाई के कारण बांस की कीमत ने इस उद्योग को काफी प्रभावित किया है. मल्लिक समाज की माने तो निर्माण में लागत की उपेक्षा बचत इतना कम है कि उसकी मजदूरी भी ठीक से नहीं निकल पाती है. जिसके कारण परिवार के भरण-पोषण के लिए दो जून की रोटी इकट्ठा करना भी मुश्किल हो गया है.