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बेगूसराय: चमकी बुखार के कारण लीची की बिक्री हुई कम, खुद ही लीची खाने को मजबूर किसान - litchi farmer

यहां किसानों ने बड़ी मेहनत से लीची फसल को तैयार किया है. लेकिन बाजार में इसकी बिकने की बारी आई तो लोगों ने इसे खरीदने से इंकार कर दिया. जिससे किसानों की उगाई लीची खुद खाने को मजबूर हैं.

लीची खाते ग्रमीण

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Published : Jun 16, 2019, 10:31 AM IST

बेगूसराय: बिहार में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोगों का ये मानना है कि इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण लीची है. इस बाीमारी से लीची किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है. जिससे लोगों ने लीची की खरीद कम कर दी है. लीची की बिक्री कम हो जाने से किसान काफी मायूस नजर आ रहे हैं. ऐसे में किसान खुद की उगाई लीची खाने को बेबस हैं.

चमकी बुखार के कारण लीची की बिक्री हुई कम

किसान खुद खा रहे लीची
जिले में लीची की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां किसानों ने बड़ी मेहनत से लीची फसल को तैयार किया है. लेकिन बाजार में इसकी बिकने की बारी आई तो लोगों ने इसे खरीदने से इंकार कर दिया. जिससे किसानों की उगाई लीची खुद खाने को मजबूर हैं. बीते दस दिनों से किसान अपने मित्रों के साथ लीची खा रहे हैं. जिससे उनकी फसलों की कीमत तो नहीं मिली लेकिन उसे खाकर बर्बाद होने से बचा रहे हैं.

विजय सिंह, लीची किसान

किसान की सरकार से गुहार
लीची किसान विजय सिंह ने बताया कि चिलचिलाती धूप में किसानी करते हैं. जब से चमकी बुखार की खबर आई है. तब से लीची की खरीदी कम हो गई. उन्होंने बताया कि जो भी लीची खरीद कर ले जाते हैं. बाद में चमकी बुखार का हवाला देकर लौटा भी देते हैं. जिससे लीची की बिक्री लगभग बंद हो गई है. इसीलिए गांव वालों को बुलाकर ही लीची को खाकर खत्म किया जा रहा है. किसान विजय ने कहा कि सरकार को किसानों के लीची की खेती के बदले कोई दूसरा भी उद्योग लागाना चाहिए.

लीची तोड़ते किसान

इतने मरीजों की हुई मौत
आपको बता दें कि अबतक में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 101 तक पहुंच गई है. मुजफ्फरपर से एसकेएमसीएच अस्पताल और केजरीवाल अपस्पताल में हर दिन मरीजों की संख्या बड़ती जा रही है. इस घटना के बाद से सरकार के तमाम बड़े नेता ने मौके की हाल चाल ली है.

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