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बेगूसराय: डुमरी गांव की महिलाएं सालों से हैं आत्मनिर्भर, लॉकडाउन में संभाला घर - बेगूसराय सदर प्रखंड का डुमरी गांव

कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक तंगी के हालात पैदा हो गए हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है. इसी कड़ी में बेगूसराय के डुमरी गांव की महिलाएं वर्षों से आत्मनिर्भर हैं. लॉकडाउन में जब उनके पतियों का रोजगार छूट गया तो इन्हीं आत्मनिर्भर महिलाओं ने घर संभाला और पति को भी पैसे भेजे.

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Published : Jun 6, 2020, 6:53 PM IST

बेगूसराय: कोरोना वायरस के संक्रमण और देश में जारी लॉकडाउन की वजह से आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े संस्थानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सार्वजनिक मंच से कर चुके हैं. पीएम की अपील पर पूरे देश में छोटे से लेकर बड़े स्तर तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद शुरू हुई है. इसी कड़ी में ईटीवी भारत की टीम उस गांव पहुंची, जहां की महिलाएं वर्षों से आत्मनिर्भर हैं.इसी वजह से गांव के दर्जनों परिवार सुख-चैन की जिंदगी जी रहे हैं. खास बात ये रही कि लॉकडाउन में जब इनके पति बेरोजगार हो गए तो इन महिलाओं ने बखूबी अपना परिवार संभाला.

बड़ी बनाती महिलाएं

महिलाओं को संगठित कर वर्षों से लघु उद्योग चलाने की ट्रेनिंग
ये बेगूसराय सदर प्रखंड का डुमरी गांव है. इस गांव की अनुपमा सिंह लगातार ग्रामीण महिलाओं को संगठित कर वर्षों से लघु उद्योग चलाने की ट्रेनिंग दे रही हैं. लॉकडाउन के पहले तक इनके टीम की महिलाएं सेनेटरी नैपकिन बनाकर बाजार में बेचा करती थीं. वहीं लॉकडाउन के दौरान इनकी टीम ने घरेलू संसाधनों से निर्मित विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों को तैयार कर लोगों को उपलब्ध करवाई. यहां चक्की और सिलबट्टे के सहारे सामग्रियों को पीसकर खाद्य सामग्री तैयार की जाती है. जिससे खाद्य पदार्थ का प्राकृतिक स्वाद कायम रहता है. घरेलू स्वाद और जायका देखकर महिलाओं की ओर से निर्मित उत्पाद की काफी मांग बढ़ गई. वर्तमान समय में उत्पादन का 20 गुना मांग बढ़ी है जिसे महिलाएं रात दिन परिश्रम कर पूरा करने का प्रयास कर रही हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

महिलाएं काफी सशक्त और अपने काम के प्रति समर्पित
इस बाबत अनुपमा सिंह बताती है कि यहां की महिलाएं काफी सशक्त और अपने काम के प्रति समर्पित हैं. यही वजह है कि इस गांव की महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और प्रगति पथ पर अग्रसर हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में कई तरह के उत्पाद हैं जो लोग खरीदना नहीं चाहते. वही पुराने समय में जिस तरीके से चक्की और सिलबट्टे पर पीसकर घरेलू खाद्य सामग्रियों को तैयार किया जाता था,वहीं कोशिश एक बार फिर यहां शुरू की गई है. इससे लोगों को पुराने दिन एक बार फिर से याद आ रहे हैं. इस तरह के लघु उद्योग चलाने का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं, अपनी प्राचीन सभ्यताओं और धरोहरों को सबके सामने लाना भी है और उसे जीवित रखना है.

चक्की और सिलबट्टे के सहारे पीसी जाती हैं सामग्रियां

पति को भी समय-समय पर भेजे पैसे
वहीं स्थानीय महिला सरोजनी देवी ने बताया कि उनके पति दिल्ली में मजदूरी किया करते थे. लॉकडाउन में उनका रोजगार चौपट हो गया जिसके बाद घर संभालने की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई. इसके बाद जिस पर अनुपमा सिंह ने उन्हें अपने टीम में शामिल कर लिया. अपनी मेहनत से सरोजनी देवी ने पैसे कमाए और ना सिर्फ अपना घर चलाया बल्कि दिल्ली में फंसे अपने पति को भी समय समय पर पैसे भेजती रहीं. वो बताती हैं की दूसरी महिलाओं की तरह आत्मनिर्भर होकर काफी खुश महसूस कर रही हैं.

महिलाओं के बनाए खाद्य-पदार्थ

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