बेगूसरायः जिले में जैविक खेती के जरिए पपीता की खेती बड़े पैमाने पर शुरू की गई है. पेशे से सरकारी कृषि समन्वयक किसान रंजीत कुमार के मुताबिक एक एकड़ पपीता की जैविक खेती करने पर किसान को 15 से 18 लाख रुपए हर साल आमदनी हो सकती है. रासायनिक खेती से उत्पन्न किए गए पपीता, जहां लोगों के लिए हानिकारक है. वहीं, जैविक खेती से उत्पादित पपीता अमृत के समान है.
'जैविक खेती से उत्पादित पपीता अमृत के समान'
कृषि प्रधान बेगूसराय जिले में पपीता की खेती बड़े व्यापक पैमाने पर विभिन्न इलाकों में की जाती है. लेकिन लोग मुनाफे के चक्कर में रासायनिक खेती कर ना सिर्फ खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि जहरीले रसायनों का छिड़काव कर उससे उत्पन्न होने वाले पपीता से लोगों को बिमारियां भी बांट रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग है, जो जैविक खेती के महत्व को समझ चुके हैं. वह पूरी तरह से जैविक खेती करके पपीता उत्पादन में लगे हुए हैं.
'पपीता के उत्पादन में काफी मुनाफा'
जिला मुख्यालय से सटे नागदह मोहल्ले में पेशे से कृषि विभाग में कार्यरत कृषि समन्वयक किसान रंजीत कुमार बताते हैं कि जैविक खेती पपीते के उत्पादन में ना सिर्फ मुनाफा देता है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए अमृत के समान है. रंजीत कुमार का कहना है कि लोग गलत मानसिकता पाले हुए हैं कि जैविक खेती से मुनाफा नहीं कमाया जा सकता है. उन्होंने दावा किया है कि कोई किसान अगर 1 एकड़ में पपीता की खेती करें तो, उसमें कम से कम 12 सौ पौधे लग जाते हैं. जिसमें एक पौधे में कम से कम 50 फल लगते हैं, एक फल का वजन डेढ़ से 2 किलो होता है, यानी कि एक पौधा से हमें 75 किलोग्राम पपीता प्राप्त होता है.
'रासायनिक खेती से होता है पौधों का नुकसान'
रंजीत कुमार का कहना है कि मार्केट मंदा भी रहा, तो पपीता कम से कम 20 रुपये किलो बाजार में बिकता है. ऐसे में किसान 1 वर्ष में लाखों रुपये 1 एकड़ भू-भाग से कमा सकते हैं. वहीं, रासायनिक खेती के चक्कर में पौधों का नुकसान तो होता ही है, उसमें दिए जाने वाले पोटाश में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है, जो सीधा सीधा जहर है. क्लोरीन ना सिर्फ पपीता के स्वाद को बिगाड़ता है, बल्कि खाने वाले लोगों की सेहत को भी बिगाड़ देता है.
उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से उत्पन्न पपीता खाने से लोगों की किडनी पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जो भविष्य में उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. वहीं, जैविक खेती के जरिए उत्पादित पपीता खाने से लोगों को स्वास्थ संबंधी कई बिमारियों का समाधान मिल रहा है.