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आखिर क्यों बोले गिरिराज-  'ख्वाहिश नहीं मशहूर होने की, आप मुझे पहचानते हो यही काफी है'

गिरिराज सिंह ने कहा कि "मैं अपनी जवाबदेही स्वीकारता हूं. जितना बन पड़ेगा उतना यहां के लिए करूंगा. लेकिन, इतना तय है कि जनता नीयत और नीति में जरा अंतर नहीं महसूस करेगी.

गिरिराज सिंह

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Published : Jun 8, 2019, 9:32 PM IST

बेगूसराय: दावत-ए-इफ्तार पर गिरिराज सिंह के ट्वीट को लेकर बिहार की राजनीति में बहुत बवाल मचा था. गिरिराज सिंह के उपर एनडीए में शामिल जेडीयू से लेकर तमाम विपक्षी पार्टी ने जमकर हमला बोला था. यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी वार किया था.

कयास लगाया जा रहा है कि अप्रत्यक्ष रूप से गिरिराज ने पलटवार किया है. कविता की पंक्ति को बोलते हुए गिरिराज सिंह ने बेगूसराय की एक सभा में कहा कि "मुझे ख्वाहिश नहीं मशहूर होने की, आप मुझे पहचानते हैं इतना ही काफी है". अब यह बयान किसपर है यह तो गिरिराज ही जानें.

गिरिराज सिंह का भाषण

गिरिराज की कविता

गिरिराज सिंह ने सभा में कहा कि "अच्छों ने अच्छा जाना, बुरों ने बुरा जाना, जिसे जितनी जरूरत थी उतना पहचाना मुझे. ये जिंदगी का फलसफा भी बड़ा अजीब है, शामें कटती नहीं रातें गुजर जाते हैं, जब हम जीत जाते हैं तो अपने पीछे छूट जाते हैं, हार जाते हैं तो अपनों पीछा छोड़ जाते हैं".

अमित शाह ने गिरिराज को दी थी चेतावनी
मालूम हो कि दावत-ए-इफ्तार के बाद बिहार में मचे सियासी बवाल के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गिरिराज को चेतावनी दी थी. जिसके बाद गिरिराज सिंह के भाषण में एक अजीब सी खामोशी दिखने को मिली. उनका आक्रमक अंदाज शांत नजर आया. गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में शीर्ष नेतृत्व से कहा कि उनकी गलती पर उन्हें बंद कमरे में डांटा जाए. हालांकि मौके पर गिरिराज सिंह ने विरोधियों के लिए एक कविता सुनाई. उन्होंने कहा कि "मुझे ख्वाहिश नहीं मशहूर होने की, आप मुझे पहचानते हैं इतना ही काफी है"

जनता ने दिया विपक्ष को जवाब
गिरिराज ने यह भी कहा कि उनकी जीत में उनका कोई योगदान नहीं है. नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद और बेगूसराय जिले के आम लोगों का प्यार ही उनकी ताकत है. उसके बूते वह जीते हैं. उन्होंने कहा कि बेगूसराय के चुनाव पर पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व की नजर थी. यहां के लोगों ने विकृत राष्ट्रवाद को किनारा कर बीजेपी का साथ दिया.कार्यकर्ताओं और नेताओं की ओर से विकास की मांग पर गिरिराज सिंह ने कहा कि "मैं अपनी जवाबदेही स्वीकारता हूं. जितना बन पड़ेगा उतना यहां के लिए करूंगा. लेकिन, इतना तय है कि जनता नीयत और नीति में जरा अंतर नहीं महसूस करेगी."





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