बेगूसराय:लॉकडाउन से मानवीय क्रियाकलाप ठप है. इसका असर यह हुआ कि गंगा समेत कई नदियां जो पहले वेंटिलेटर पर थीं वो खुल कर सांस लेने लगी. राज्य प्रदूषण नियंत्रण के अनुसार गंगा में हानिकारक जीवाणुओं और गंदगी में कमी आई है. जिससे गंगाजल पहले की अपेक्षा अधिक साफ दिखाई दे रही है. बेगूसराय के प्रसिद्ध सिमरिया घाट पर गंगा की पवित्र अविरल धारा लोगों का मन मोह रही है. वहीं, गंगा से सटे इलाके के पास से लोग खुली आंखों से मुंगेर की काली पहाड़ी की झलक पा रहे हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि लॉक डाउन से प्रकृति बार रिचार्ज हो रही है.
खुद से अविरल हुई गंगा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गंगा को पतित पावनी नदी का स्थान दिया गया है. गंगाजल के सेवन से कई बीमारियों के खत्म होने के दावे भी किए जाते रहे हैं. लेकिन बीते कई दशकों से बड़े-बड़े फैक्ट्री के कूड़े-कचड़े, दूषित जल और नाले-नालियों का बहाव गंगा की ओर कर दिया गया. इस वजह से गंगाजल इस कदर दूषित हो गया था कि इसको पीना तो दूर इसमें स्नान करने से भी लोग कतराते थे. हालांकि,गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए केंद्र और प्रदेश सरकारें सालों से निरंतर प्रयासरत हैं. गंगा को निर्मल बनाने के लिए इसके लिए कई सौ करोड़ की धनराशि भी खर्च की जा चुकी है. लेकिन मां गंगा का पानी प्रदूषण युक्त ही रहा. कोरोना वायरस के बाद लॉक डाउन घोषित कर दिया गया. पूरा देश थम सा गया. वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा तो वातावरण को प्रदूषित करने वाला धुंआ भी नहीं रहा. मानवीय क्रियाकलाप पूरी तरह से ठप है. इस वजह से गंगाजल खुद से अविरल हो गया है. कई इलाके में गंगा का पानी पीने लायक हो गया है.
'मिथिलांचल का प्रवेश द्वार है सिमरिया घाट'
गंगाजल अविरल होने पर खुशी जाहिर करते हुए स्थानीय पंडा नीरज झा ने बताया कि सालो बाद मां गंगे के इस रूप को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. सिमरिया घाट को मिथिलांचल का प्रवेश द्वार कहा जाता है. यह घाट धार्मिक दृष्टिकोण से अपना एक खास स्थान रखता है. इस घाट को आदि कुंभ स्थली भी कहा गया है. यहां अर्धकुंभ और कुंभ जैसे मेले का आयोजन किया जाता रहा है. सिमरिया धाम में हजारों लोग देश के कोने-कोने से आते हैं. लॉक डाउन के कारण लोगों को परेशानी तो जरूर उठानी पर रही है. लेकिन गंगा की निर्मलता और पवित्रता वापस आने के बाद हमलोग काफी खुश हैं.
वहीं, गंगा घाट पर दुकान चलाने वाली महिला निर्मला देवी ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन काल में गंगा को इतना स्वच्छ और निर्मल कभी नहीं देखा था. इस समय लगभग 15 फीट जल की गहराई तक साफ-साफ खुली आंखों से देखा जा सकता है. पानी के अंदर मछलियों के कौतूहल भी नजर आ रहा है. पहले हमलोग गंगा में स्नान करने से भी कतराते थे. लेकिन वर्तमान समय में हम इसका उपयोग पीने में भी कर रहे हैं.
अधिक वेग के साथ आगे बढ़ रही गंगा की लहरें
गौरतलब है कि कोरोना वायरस चेन की कड़ी को तोड़ने के लिए लागू लॉकडाउन का असर शहर की आबोहवा और पर्यावरण पर भी दिखने लगा है. लॉकडाउन काल में जहां हवा शुद्ध हुई है. वहीं सदानीरा मां गंगा का पानी भी पहले से काफी निर्मल और धवल हो गया है. लॉकडाउन के कारण सिमरिया घाट अब और साफ सुथरा नजर आने लगा है. आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो गया है. हालांकि, लॉकडाउन से जनजीवन के साथ अर्थ व्यवस्था भले ही बेपटरी हो गई हो. लेकिन पर्यावरण के लिए यह काफी मुफीद साबित हो रहा है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के बाद जहां पूरा देश थम सा गया. वहीं गंगा की अविरलता बढ़ गई है. मां गंगा की लहरें पहले से अधिक वेग के साथ आगे की ओर अग्रसर है.