बेगूसरायःबिहार के बेगूसराय के बखरी अनुमंडल के मुख्य बाजार स्थित पुरानीदुर्गा मंदिर इलाके में शक्तिपीठ के रूप मे मशहूर है. तकरीबन 600 वर्ष पूर्व स्थापित यह मंदिर देश भर मे तंत्र साधना के लिए मशहूर है. बताया जाता है कि परमार वंश के राजाओं के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी. दुर्गा पूजा में बड़ी संख्या में लोग यहां तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए पहुंचते हैं, जिसमे पड़ोसी राज्य नेपाल भी शामिल है.
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तंत्र साधना का प्रमुख स्थल है मंदिरः बताया जाता है कि तंत्र साधना के प्रमुख इस स्थान पर महाअष्टमी की रात देवी के महागौरी रूप की पूजा के बाद तंत्र साधकों के द्वारा तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है. बखरी के लिए एक कहावत मशहूर है कि कभी यहां की बकरी भी डायन हुआ करती थी. बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां के कुछ लोग तंत्र साधना को अपने अस्त्र के रूप मे इस्तेमाल किया करते थे.
मंदिर में रखी मां की मूर्ति तंत्र साधना की शिक्षा देती थीं बहुरा मामाः बहुरा मामा नामक एक तंत्र साधिका के द्वारा यहां एक तंत्र साधना का विद्यालय भी संचालित किया जाता था. जिसके चमत्कारीक किस्से काफी मशहूर हैं, आज भी लोग इसे चाव से सुनते है. तंत्र साधिका के रूप मे मशहूर बहुरा मामा की स्थपित मंदिर आज लोगों के श्रद्धा का केंद्र बन गई है. दुर्गा पूजा पर बड़ी संख्या में लोग बखरी में तंत्र साधना की सिद्धि के लिए आते हैं.
मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ यहां दूर-दूर से आते हैं साधकःयह दुर्गा मंदिर तंत्र मंत्र की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए आस-पास के राज्यों ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी मशहूर है. यहां हर वर्ष दूर-दूर से साधक आते हैं, जिन्हें तंत्र मंत्र की सिद्धि मिलती है. महाअष्टमी की रात देवी के महागौरी रूप की पूजा के बाद साधकों को तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है. इस दिन माता को छप्पन प्रकार का भोग लगाया जाता है.
600 वर्ष पुराना है ये मंदिरः इस संबंध मे पुजारी अमरनाथ चौधरी बताते है की ये मंदिर 600 वर्ष पुराना है जो परमार वंश के राजाओं के द्वारा स्थापित किया गया. यहां की खासियत यह है कि यहां मां भगवती लोगों की मनोकामना यथाशीघ्र पूरा करती हैं. खास तौर पर संतान प्राप्ति और रोग से से मुक्क्ति के लिए श्रद्धांलु आते है. अमरनाथ चौधरी बताते हैं कि यहां बिहार, झारखंड, यूपी और हरियाणा सहित नेपाल देश के लोग भी आते हैं.
"बखरी तंत्र क्षेत्र है. इसी दुर्गा मंदिर से बहुरा मामा नामक तंत्र साधिका ने तंत्र साधना पूरी की थी. आज भी अष्टमी की रात में यहां तंत्र साधना होती है और उसकी सिद्धि होती है. यह मंदिर 600 वर्ष पूर्व परमार वंश के राजाओं के द्वारा स्थापित किया गया है. यहां लोगों की मनोकामना यथाशीघ्र पूरा होती है. पुरानी दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ की महिमा निराली है"- अमरनाथ चौधरी, पुजारी
'मां से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है':वहीं इस स्थान के संबंध में समिति के अध्यक्ष रत्नेश्वर प्रसाद सिंह बताते है की यह सिद्ध पीठ है. हमारे पूर्वज दूसरे प्रदेश के रहने वाले लोग हैं, जिनके द्वारा ही उस स्थान से यहां दुर्गा की प्रतिमा लाकर स्थापित की गई थी. बनारसी अस्सी घाट से पधारे तरुण तिवारी ने बताया कि यहां पर पांच पंडितों की टीम दुर्गा महा आरती को संपन्न कराने पहुंची है. तरुण तिवारी ने बताया की यहां मांगी गई मां से हर मुराद पूरी होती है, इसलिए यहां देश भर के लोग खास तौर पर पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा के लोग आते हैं.
नारी शक्ति का रूप थीं बहुरा मामाः स्थानीन अमित परमार ने बताया कि आज वैज्ञानिक युग है, लोग माने या ना माने आज भी यहां तंत्र-मंत्र की साधना हो रही है. महा अष्टमी के दिन साधक यहां तंत्र सिद्धि के लिए पहुंचते हैं. इसके लिए सड़कों को पूरे नवरात्र जब तक करना पड़ता है, तभी उनकी तंत्र सिद्ध हो पाती है. बहुरा मामा शाबर मंत्र साधिका थी और मां दुर्गा की भक्त थी. उस जमाने मे वो नारी शक्ति के रूप में सामने आई और उन्होंने महिलाओं की एक टीम बनाई. उनके द्वारा उस जामने में स्कूल का संचालक किया जाता था. उनकी कई कहानियां मशहूर हैं.