बेगूसराय:जिले में लोकसभा चुनाव के बाद हो रही हिंसाओं को सियासी रंग दिया जा रहा है. चाहे हत्या हो या हिंसा, राजनीतिक दल के लोग इसमें भी सियासी रोटी सेकते नजर आ रहे हैं. हाल में कई एक ऐसे मामले सामने आए जिसमें पार्टी के आधार पर हिंसा को जोड़ने का प्रयास किया गया. पुलिस अनुसंधान में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार सभी मामलों में आपसी विवाद और अपराधियों का किया काम था.
बेगूसराय: चुनाव के बाद हो रही आपराधिक घटनाओं में घुल रहे राजनीतिक रंग - अपराध
डीएसपी कुंदन सिंह बताते हैं कि पिछले दिनों हुई सभी हत्याओं की जांच चल रही है. अभी साफ नहीं है कि हत्याओं में राजनीतिक लोग मरे हैं. जिले में पार्टियां एक प्रोपागेंडा के तहत सभी हत्याओं को राजनीतिक रंग-रूप दे रही हैं.
डीएसपी कुंदन सिंह बताते हैं कि पिछले दिनों हुई सभी हत्याओं की जांच चल रही है. अभी साफ नहीं है कि हत्याओं में राजनीतिक लोग मरे हैं. जिले में पार्टियां एक प्रोपागेंडा के तहत सभी हत्याओं को राजनीतिक रंग दे रही हैं. सोची-समझी रणनीति के तहत राजनीतिक दल के लोग एक-दूसरे पर हत्या करवाने का आरोप लगाते रहते हैं, ताकि वह मीडिया में सुर्खियां हासिल कर सकें. वहीं, जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं कि अधिकांश हत्याएं जमीन विवाद के कारण हुई है, कोई पॉलिटिकल मर्डर नहीं है.
बीते दिनों हुई हत्याएं जिनका राजनीतिकरण किया गया
- मटिहानी थाना इलाके के फागों तांती की पीट-पीटकर हत्या (सीपीआई का नेता बताया गया)
- गल्ला व्यवसाई पृथ्वी चौधरी की अपहरण के बाद हत्या (सीपीआई का नेता बताया गया)
- गोपाल सिंह की हत्या (बीजेपी का पंचायत अध्यक्ष बताया गया)
- बलिया में एक युवक की बेरहमी से पिटाई (कांग्रेस के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष के पुत्र पर जानलेवा हमला बताया गया)
- एक फेरीवाले को एक अपराधी ने मारी गोली (घायल युवक का आरोप मुस्लिम होने के कारण मारी गोली )