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अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बेगूसराय पुलिस ने बनाई नई रणनीति, जमानत और जायदाद दोनों होंगे जब्त

अपराधी कानून की कमियों का फायदा उठाकर या साक्ष्य का कमजोर होने का फायदा उठाकर कोर्ट से जमानत पाने में सफल हो जाते हैं. फिर कुछ समय जेल में काटने के बाद उन्हें कोर्ट से जमानत मिल जाती है और वापस जेल से छूटने के साथ ही वो अपराध की दुनिया में सक्रिय हो जाते हैं.

न्यायालय, बेगूसराय

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Published : Aug 17, 2019, 1:21 PM IST

बेगूसरायः जिले में बढ़ते अपराध को देखते हुए पुलिस ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए नई रणनीति बनाई है. इसके तहत ऐसे अपराधियों को चिन्हित किया जा रहा है, जो जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद दोबारा अपराध की दुनिया में अपना दबदबा कायम कर रहे हैं. इस कड़ी में बेगूसराय पुलिस ने अपराधियों की थानेवार सूची तैयार कर ली है. अब ऐसे लोगों की जमानत रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

पुलिस कार्यालय

कम होने का नाम नहीं ले रहा अपराध
बेगूसराय जिले में अपराधी 'तू डाल-डाल, मैं पात-पात' की तर्ज पर पुलिस के हर कदम का तोड़ निकाल कर अपराध की दुनिया में सक्रिय रहते हैं, जिस वजह से लाख प्रयास के बावजूद भी अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसा नहीं है कि पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई नहीं कर रही है या उन्हें गिरफ्तार नहीं करती है. अपराधी कानून की कमियों का फायदा उठाकर या साक्ष्य का कमजोर होने का फायदा उठाकर कोर्ट से जमानत पाने में सफल हो जाते हैं. फिर कुछ समय जेल में काटने के बाद उन्हें कोर्ट से जमानत मिल जाती है और वापस जेल से छूटने के साथ ही वो अपराध की दुनिया में सक्रिय हो जाते हैं.

कुंदन सिंह, डीएसपी

जिले की पुलिस ने बनाई नई रणनीति
जमानत पर रिहा हुए ये अपराधी प्रशासन के लिए नई मुसीबत खड़ी कर देते हैं. लगातार अपराध के कारण कई बार प्रशासन के सामने विधि व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. इसको देखते हुए पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पुलिस ने थानेवार अपराधियों की सूची तैयार की है. ये ऐसे अपराधी हैं जो जेल से छूटने के बाद फिर से अपराध कर रहे हैं. इस बाबत डीएसपी कुंदन सिंह बताते हैं कि वैसे अपराधियों की सूची तैयार कर ली गई है. इनकी जमानत रद्द करवाई जाएगी. साथ ही ऐसे अपराधियों की संपत्ति भी जब्त करने की बात चल रही है.

जानकारी देते डीएसपी कुंदन सिंह

पुलिस को नहीं है ऐसा अधिकार- अधिवक्ता
वहीं, इस बाबत बेगूसराय कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जी बताते हैं कि पुलिस को ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वो किसी की जमानत को रद्द करवा दे. लेकिन अगर साक्ष्य के साथ ये प्रस्तुत किया जाय तो कोर्ट उसमें स्व विवेक से निर्णय ले सकती है. निश्चित तौर पर पुलिस की ये रणनीति कारगर साबित हो सकती है और ऐसा करने पर अपराध में कमी तो आएगी ही, अपराधी भी दोबारा अपराध करने से परहेज करेंगे.

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