बांकाः कोरोना महामारी के दौरान हर वर्ग के लोग परेशान हैं. जिले के बड़ी संख्या में युवा अपने परिवार को चलाने के लिए हर वर्ष विभिन्न शहरों में रोजगार की तलाश में पहुंचते हैं. कोरोना महामारी के चलते काम बंद हो हो जाने के बाद निराश घर वापस लौटना पड़ा. जिससे युवाओं को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है. वहीं, अब तक कई युवाओं को सरकारी मदद तक नहीं मिल पायी है.
लॉकडाउन के दौरान सरकार ने बाहर से आने वाले मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर में रहना अनिवार्य किया. सेंटर में तय अवधि पूरा करने वाले युवाओं को सरकार ने एक हजार और राशन देने की घोषणा की थी. लेकिन जिला मुख्यालय से सटे झिरबा गांव के दर्जनों युवाओं को अब भी लाभ नहीं मिल सका है.
लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से लौटे झिरबा गांव के युवा निवास कुमार ने बताया कि क्वारंटाइन सेंटर में रहने के दौरान अधिकारियों ने कहा था कि सभी को एक हजार रुपए और राशन दिया जाएगा. लेकिन घर आए एक महीना से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक कुछ नहीं मिला.
नाम और पता देने के बाद भी नहीं मिल सका लाभ
वहीं, पंकज कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन वादा को पूरा करने में विफल साबित हो रहा है. सरकार ने राशि और अनाज देने की घोषणा की थी लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है. दिल्ली से ही लौटे अजीत कुमार मंडल ने बताया कि क्वारंटाइन सेंटर में रहने के दौरान अधिकारियों ने नाम, मोबाइल नंबर और पता नोट किया था. साथ ही कहा था कि सभी को घर जाने पर सरकार द्वारा दी जाने वाली एक हजार रुपए और राशन उपलब्ध कराया जाएगा.
बुरे दौर से गुजर रहे युवा
युवाओं का कहना है कि स्थानीय डीलर भी अनाज देने से हाथ खड़ा कर रहे हैं. अब तक कुछ नहीं मिल सका है. अधिकारियों से भी संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है. कोरोना काल में जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है.