बांका:देश की आजादी (Country Independence) के 74 वर्ष से अधिक समय बीत गया है. प्रदेश से लेकर केन्द्र सरकार तक चुनाव के समय विकास का तैयार रोड मैप (Road Map) दिखाकर वोट मांगते नजर आते हैं. हालांकि अभी भी कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़कनहीं है. ऐसे में झुठे वादों के शिकार ग्रामिणों ने कच्ची सड़क (Dirt track) बनाने का बीड़ा उठा लिया और चंदा इकट्ठा कर सड़क का निर्माण (Road Construction) कार्य पूरा किया.
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बांका के कटोरिया प्रखंड क्षेत्र के बड़वासनी पंचायत के टिटहीवरण गांव के ग्रामीण जनसहयोग से सड़क का निर्माण किया है. जब किसी ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने खुद कुदाल उठाया और गांव के महिला और पुरुष ने मिलकर श्रमदान देते हुए दो किलोमीटर लंबी कच्ची सड़कबना दी.
लोगों ने सड़क बनाने का उठा बीड़ा दरअसल, टिटहीवरण गांव के तरीपार टोला तक पहुंचने के लिए संपर्क पथ की व्यवस्था नहीं थी. जिससे बारिश के दिनों में लोगों को घर तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. गांव से बाहर स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती थी. खासकर बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में सबसे ज्यादा मुश्किल होती थी. इसे लेकर ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं से उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
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क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण टेकनारायण तांती ने बताय कि बाढ़ में क्षतिग्रस्त सड़क का निर्माण सरकारी कोष से नहीं हुआ. कई महीनों से गांव के लोग शासन और प्रशासन से फरियाद करते रहे. लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी. इसके बाद जनसहयोग से चंदा इकट्ठा कर हमने इस सड़क का निर्माण किया है. वहीं, रवि शंकर मंडल ने बताया कि दर्जनों महिला और पुरूष ने धोबनी यादव टोला के निकट मुख्य सड़क मार्ग से तरीपार होते हुए जैसरी तक लगभग दो किलोमीटर तक श्रमदान कर कच्ची सड़क बनाई है. इस दौरान रास्ते में मिलने वाले बड़े-बड़े पत्थरों को हटाने के लिए आपस में चंदा कर जेसीबी से पत्थरों को हटाया और जेसीबी से कच्ची सड़क पर डाले गये मिट्टी को लेवल करवाया गया.
क्षतिग्रस्त सड़क का निर्माण ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से किया आग्रह
ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होते ही आपस में बैठकर इस सड़क निर्माण कार्य की नींव रखी. साथ ही सड़क निर्माण में ग्रामीणों ने श्रमदान के साथ-साथ अपने सामर्थ्य से आर्थिक मदद भी की है. इस कच्ची सड़क का निर्माण पूरा होने से हजारों ग्रामीणों को आने जाने में सहूलियत होगी. बरसात के दिनों में मरीजों को वक्त पर अस्पताल ले जाने के अलावा कई अन्य कामों में आसानी होगी. ग्रामीणों ने अब जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से आग्रह है कि सड़क का पक्कीकरण करा दिया जाए ताकि लोगों को और अधिक सहूलियत मिल सके.
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