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कोरोना इफेक्ट: 400 सालों में पहली बार तिलडीहा दुर्गा मंदिर का पट हुआ बंद, आश्रितों की आजीविका पर संकट

मंदिर बंद होने का सबसे अधिक प्रभाव आसपास के दर्जनों गांव के सैकड़ों छोटे-छोटे दुकानदारों पर पड़ा. जिनकी आजीविका इसी मंदिर के सहारे चलती थी. अब उनके सामने आर्थिक तंगी की वजह से रोजी-रोटी की समस्या आन पड़ी है.

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Published : May 27, 2020, 4:10 PM IST

बांकाः पूर्वी बिहार के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक तिलडीहा दुर्गा मंदिर 400 सालों में कभी बंद नहीं हुआ था. लेकिन कोरोना की वजह से मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं. यहां के पुजारी और स्थानीय दुकानदारों की आजीविका खत्म हो गई है. जिससे इन लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

मंदिर का पट बंद
जिले के बांका-मुंगेर सीमा पर बदुआ नदी के किनारे स्थित तिलडीहा दुर्गा मंदिर में स्थापना काल से भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर का इतिहास 400 से अधिक साल पुराना है. स्थापना काल से लेकर अब तक कई त्रासदी और बदलाव का साक्षी रहे इस मंदिर का पट भक्तों के लिए कभी बंद नहीं हुआ. लेकिन कोरोना महामारी ने भक्तों को भी भगवान से अलग कर दिया.

लॉकडाउन के पहले मंदिर में भक्त

छोटे दुकानदारों पर पड़ा प्रभाव
मंदिर बंद होने का सबसे अधिक प्रभाव आसपास के दर्जनों गांव के सैकड़ों छोटे-छोटे दुकानदारों पर पड़ा. जिनकी आजीविका इसी मंदिर के सहारे चलती थी. अब उनके सामने आर्थिक तंगी की वजह से रोजी-रोटी की समस्या आन पड़ी है.

बंद मंदिर का पट

1603 ई. में हुई थी स्थापना
मंदिर के मेढ़पति श्यामसुंदर दास बताते हैं कि इसकी स्थापना 1603 ई. में उनके पूर्वज हरि बल्लभ दास ने तांत्रिक विधि से की थी. तब से लेकर आज तक भक्तों के लिए इस मंदिर का पट कभी बंद नहीं हुआ था. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर सरकार के निर्देश के बाद समिति के सदस्यों ने मंदिर को बंद कर दिया. यहां दैनिक पूजा पाठ तो होती है. श्रद्धालुओं के नहीं आने से लोगों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है.

देखें रिपोर्ट

परिवार का गुजर-बसर मुश्किल
मंदिर परिसर में मिठाई की दुकान चलाने वाले रूपेश कुमार ने बताया कि मंदिर बंद हुए ढाई महीने से अधिक हो गए हैं. जमा रुपये से घर चल रहा था. लेकिन अब वो भी खत्म हो गया है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर परिवार का गुजर-बसर सब में बहुत मुश्किल आ रही है. उन्होंने कहा कि कोई कर्ज देने को तैयार नहीं है.

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