बांका (कटोरिया) : बदलते परिवेश में भी कुम्हार के चाक से बने खास दीपक दीपावली में चार चांद लगाते हैं. अमीर हो या गरीब कार्तिक मास के अमावस की रात में इससे सबों का घर दीयों से रौशन होता है. लेकिन महंगाई के इस दौर में कुम्हार समुदाय आज उपेक्षा का दंश झेलने को विवश है.
बाजार में चाइनीज झालरों की भरमार
बाजार में चाइनीज झालरों के कब्जा के बाद से ही मिट्टी के दीपक की डिमांड काफी कम हो चुकी है. वहीं उनकी मेहनत का उचित दाम भी नहीं मिल रहा है. कड़ी धूप में मेहनत करने वाले कुम्हार परिवार आज भी दोनों वक्त घर का चूल्हा भी मुश्किल से ही जला पाता है. मिट्टी के दीपक को बाजार में ना तो वाजिब दाम मिल पा रहा है, और न पर्याप्त खरीदार. कटोरिया प्रखंड अंतर्गत डोमकट्टा गांव कुम्हार समुदाय का सबसे बड़ा गांव है. यहां के लोग पुश्तैनी धंधे को आज ही जिंदा रखे हुए हैं.