बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित छोटी सी जगह श्याम बाजार निवासी दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू ने पोलियो की वजह से बचपन में ही अपने दोनों पैर खो दिए थे. लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी हावी नहीं होने दिया. कुछ कर गुजरने की ललक ने पप्पू ने बांका के साथ-साथ झारखंड के किसानों के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई है.
'काफी तकलीफों के बीच अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. रोजाना एक तरह का काम नहीं चलता है. जिसके चलते समस्या उत्पन्न होती है. सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ दिव्यांग का प्रमाण पत्र मिला है'-वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू, मैकेनिक
पप्पू अपनी मेहनत और कारीगिरी की वजह से दूरदराज इलाकों में जाने जाते हैं. दूर-दूर से लोग इनके पास पंपसेट ठीक कराने पहुंचते हैं. पप्पू के पास आने वाले किसानों की माने तो यदि एक बार मशीन पर पप्पू हाथ लगा दे तो साल-दो साल मशीन खराब होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. पप्पू हाफ एचपी से लेकर 25 एचपी तक की मशीन को ठीक करते हैं. उनके पास बांका जिले के बौंसी, बाराहाट, रजौन के अलावा झारखंड के हंसडीहा, पड़ेया हॉट सहित सीमाई इलाके के किसान पहुंचते है.
'स्थानीय मुखिया से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक में कई बार आवेदन दिया. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला, इसके सिवा किसी ने कोई मदद नहीं की. महंगाई के इस दौर में पहुंच परिवार का पेट पालना आसान काम नहीं है'-पुतुल देवी, मैकेनिक पप्पू की पत्नी