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बांका: निर्माण के महज 10 दिन बाद ही टूटकर बिखरने लगी सड़क, ग्रामीणों ने संवेदक पर लगाया आरोप - संवेदक पर आरोप

जिले के अजीत नगर और शंकरपुर के बीच लगभग चार करोड़ की लागत से 10 दिन पूर्व बनकर तैयार हुई सड़क अब गड्ढे में तब्दील होने लगी है. ग्रामीणों ने संवेदक पर गड्ढों को भरकर मेटल और अलकतरा से सिर्फ रोलिंग कर देने का आरोप लगाया है.

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Published : Jul 30, 2020, 6:21 PM IST

बांका: जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर अजीत नगर और शंकरपुर के बीच लगभग चार करोड़ की लागत से 10 दिन पूर्व बनकर तैयार हुई सड़क अब गड्ढे में तब्दील होने लगी है. ग्रामीणों ने संवेदक पर गड्ढों को भरकर मेटल और अलकतरा से सिर्फ रोलिंग कर देने का आरोप लगाया है. घटिया निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों ने आवाज भी उठाई थी. लेकिन ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी गई.

राजस्व मंत्री ने शुरु करवाया था निर्माण
बता दें कि मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग-1 के अधीन बिहार के राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने निर्माण कार्य शुरू करवाया था. ग्रामीण रवि सिंह ने बताया कि 10 दिन पहले ही इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. सड़क अब बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील होने लगा है. संवेदक अनिल सिंह के द्वारा घटिया काम किए जाने की वजह से सड़क अब गड्ढों में तब्दील होने लगी है.

10 दिन पहले बनकर तैयार हुआ थी सड़क

गड्ढों को भरकर मेटल और अलकतरा से कर दी रोलिंग
वहीं ग्रामीण रामस्वरूप यादव ने बताया कि सड़क के गड्ढों को सिर्फ भरकर मेटल और अलकतरा से रोलिंग कर दी गई. सड़क निर्माण के कार्य में भी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. ट्रैक्टर चलने के बाद ही सड़कें टूट कर बिखरने लगी. उन्होने कहा कि संवेदक अनिल सिंह ने विभागीय मिलीभगत से न सिर्फ घटिया काम किया है, बल्कि ग्रामीणों को भी अब परेशानी में डाल दिया है.

कई जगह हो गए गड्ढ़े

सड़क के लिए लोगों को करना पड़ा था लंबा इंतजार
कर्मा के वार्ड पार्षद रामचरित्र सिंह ने बताया कि इस सड़क के निर्माण के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ा था. दो दर्जन से अधिक गांव इस सड़क से लाभान्वित होते हैं. राजस्व मंत्री के द्वारा कार्य शुरू करवाने के बाद भी संवेदक द्वारा इस तरह घटिया कार्य किया जाना समझ से परे है. घटिया कार्य करने को लेकर ग्रामीणों ने संवेदक अनिल सिंह को कई बार टोका. लेकिन विभागीय मिलीभगत के चलते संवेदक ने ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी. सड़क निर्माण के दौरान शिकायत करने के बाद भी एक भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचे. उन्होने कहा कि सड़क निर्माण के नाम पर महज खानापूर्ति कर संवेदक ने अपना जेब भर लिया.

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