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बांका: संवेदक ने सड़क निर्माण कार्य छोड़ा अधूरा, गड्ढों के बीच चलने को मजबूर ग्रामीण

जिले में संवेदक की लापरवाही के कारण सड़क पूरी तरह से गड्ढे में तब्दील हो गई है. अजीत नगर से शंकरपुर तक 11 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क का काम संवेदक ने अधूरा छोड़ दिया.

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Published : Aug 6, 2020, 6:23 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 12:01 AM IST

बांका: जिले के अजीत नगर से शंकरपुर तक 11 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क का काम संवेदक ने अधूरा छोड़ दिया. संवेदक द्वारा 4 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य नहीं कराया गया. जिससे 1 दर्जन से अधिक गांव की लगभग 20 हजार की आबादी प्रभावित हो रही है. सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं. लोगों को चलना भी मुश्किल हो गया है.

जर्जर सड़क से ग्रामीणों को हो रही परेशानी

संवेदक की लापरवाही के कारण सड़क पूरी तरह से गड्ढे में तब्दील हो गया है. इन गड्ढों में बारिश की पानी भरे रहने से लोगों को आवाजाही में भी परेशानी हो रही है. 3 करोड़ 51 लाख की लागत से सड़क का निर्माण होना है. जबकि 5 वर्षों तक मेंटेनेंस के लिए 99 लाख रुपया खर्च किए जाने हैं. ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारी से मिलीभगत कर संवेदक बड़ी राशि गटकने का आरोप लगाया है.

विरोध करते ग्रामीण

4 किलोमीटर सड़क को संवेदक छोड़ा अधूरा
भतकुंडी के ग्रामीण विजय प्रसाद सिंह ने बताया कि शंकरपुर से अजीत नगर पहाड़ तक सड़क बनना था। संवेदक ने भदरार तक की सड़क बना कर छोड़ दिया.जिले में चांदन पुल ध्वस्त हो जाने के बाद हमलोगों को खरीदारी के लिए रजौन और पुनसिया ही जाना पड़ता है. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो इस गड्ढे नुमा सड़क में ले जाना भी मुश्किल हो गया है. सड़क पूरी तरह से गड्ढे में तब्दील है. लोगों का पैदल चलना भी आफत हो गया है. वहीं ग्रामीण जसरानी देवी ने बताया कि समस्या विकट हो गई है. सड़क भी नहीं है, पुल भी ध्वस्त हो गया है. यदि बाढ़ आ जाए तो बाढ़ में बह जाने का खतरा है. उन्होंने बताया कि सड़क भी ऊंचा नहीं है कि भागकर जान बचाया जा सके.

देखें रिपोर्ट

सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का हुआ इस्तेमाल
ग्रामीण त्रिपुरारी सिंह ने बताया कि सड़क निर्माण में संवेदक अनिल सिंह द्वारा घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. जहां सड़क बन भी गया है, वहां 15 दिनों के अंदर ही उखड़ने लगा है. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. लोगों का चलना मुश्किल हो गया है. संवेदक द्वारा किया गया अधूरे काम को लेकर विभागीय अधिकारी तक को आवेदन दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिससे एक दर्जन गांव के 20 हजार से अधिक की आबादी को बारिश के दिनों में परेशानी हो रही है.

Last Updated : Aug 12, 2020, 12:01 AM IST

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