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बांका: नल जल योजना के बावजूद भी फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं लोग!

बांका के छत्रपाल पंचायत में करीब साढ़े चार करोड़ की लागत से बने पेय-जल योजना में अब तक पांच योजनाओं के पूरा होने के बावजूद भी धरातल पर काम नहीं दिख रहा है. सरकार की ओर से करोड़ों खर्च करने के बाद भी लोगों को फ्लोराइड मुक्त पेयजल नहीं मिल रहा है.

नल-जल-योजना
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Published : Feb 15, 2020, 1:42 PM IST

बांका: जिले के सदर प्रखंड का छत्रपाल पंचायत पिछड़े पंचायत में शामिल है. जो पूरी तरह से पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ क्षेत्र है. साथ ही ये इलाका आदिवासी बहुल भी है. इस क्षेत्र के लोगों को पेयजल की असुविधा शुरुआती दौर से ही रही है. इसको लेकर पीएचईडी की ओर से साढ़े 4 करोड़ की लागत से दर्जनभर पेयजल की योजना शुरू की गई थी. जिसमें पांच योजना पूरी कर ली गई है. वहीं, बाकी के योजनाओं में कार्य प्रगति पर है.

फ्लोराइड युक्त पानी का क्षेत्र है छत्रपाल पंचायत
छत्रपाल पंचायत फ्लोराइड युक्त पानी का क्षेत्र है. सरकार की कोशिश है कि इन योजनाओं के जरिए लोगों को फ्लोराइड मुक्त पानी मुहैया कराया जाए. एक-एक योजना पर कम से कम 38 से 40 लाख की खर्च की जा रही है. संवेदक एबीएन और मैकमिलन की ओर से पांच योजना को पूर्ण दिखाकर पैसे की निकासी भी की जा चुकी है. वहीं, पहाड़ों की तलहटी में बसे चिरचिरया, मनअड्डा, चौबटिया सहित अन्य गांव की जहां कार्य एजेंसी की ओर से पेयजल योजना के तहत जल मीनार बना दिया गया है. लेकिन ग्रामीणों की मानें तो यह जल मीनार सफेद हाथी के समान है.

बच्चे दूषित पानी पीने को मजबूर

लोगों के घरों तक नहीं पहुंच रहा है पानी
चिरचिरया गांव के ग्रामीण राम किस्कू और सोनेलाल किस्कू बताते हैं कि जल मीनार के बने एक साल से अधिक समय बीत गया है. लेकिन लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. कार्य एजेंसी के लोग कभी कभार आते भी हैं तो बिना कुछ किए चले जाते हैं. घर में पानी मिल रहा है या नहीं मिल रहा है. इसकी जांच तक करने की जरूरी नहीं समझते हैं. चापाकल का दूषित पानी पीकर बच्चों के सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, मनड्डा गांव के मो. ताहिर अंसारी और मो. इस्लाम अंसारी बताते हैं कि तीन वर्ष से अधिक समय बीत गया है. जल मीनार ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है. लोग नदी, नहर या चापाकल का दूषित पानी पीने को विवश हैं. संवेदक के कर्मी पहुंचते हैं, लेकिन टालमटोल कर चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि पंप संचालक मो. राशिद अंसारी भी कार एजेंसी की लापरवाही से परेशान हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बांका में भू-गर्भीय जलस्तर काफी कम
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता डेविड कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि छत्रपाल पंचायत में एक दर्जन में से पांच योजनाएं पूरी कर ली गई हैं. लेकिन अब चिरचिरया और मनड्डा में बोरिंग की समस्या उत्पन्न हुई है. बांका का अधिकांश हिस्सा पठारी है. भूगर्भीय जलस्तर भी यहां काफी कम है. आस-पास कोई बड़ी नदी भी नहीं है. जिस वजह से पानी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है. फिर भी विभाग लगातार प्रयास कर रही है कि उन इलाकों के लोगों को शुद्ध पेयजल मिले. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में कार्य पूर्ण हो चुका है. वहां लोगों को पेयजल नहीं उपलब्ध हो पा रहा है. प्राथमिकता के तौर पर उन स्थानों पर कार्य एजेंसी से काम करवाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके.

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