बांका:जिले के चांदन प्रखंड को ओडीएफ घोषित किए करीब एक साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां लोग कोरोना काल में भी खुलेआम गांव के बाहर खुले में शौच के लिए जाते हैं. इससे बरसात के मौसम में तरह-तरह की बीमारी फैलने का अंदेशा बना रहता है. खासकर चांदन मुख्यालय के कुछ आदिवासी गांव के अलावे बिरनिया, गोविंदपुर, सिलजोरी, कोरिया, कुसुमजोरी, पंचायत के अधिकतर गांव आज भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.
शौचालय निर्माण कार्य आधा-अधूरा
गांव में शौचालय नहीं है ऐसी बात नहीं, लेकिन एक भी शौचालय आज तक पूरा नहीं हो सका है, जिस कारण किसी शौचालय में या तो सूअर बांधा जाता है, या लकड़ी रखी जाती है. कुछ शौचालय ऐसे हैं, जिसके चारों ओर कटीली झाड़ियों उग आए हैं. ऐसा ही नजारा चांदन मुख्यालय के आदिवासी बहुल बाबूकुरा गांव में देखने को मिला, जहां कुल 40 परिवार हैं.