बांका: जिले में झारखंड से लगने वाली सीमा चांदन थाना के दर्दमारा सीमा पर रोजाना 100 से अधिक संख्या में प्रवासी मजदूरों का आना जारी है. लेकिन सीमा पर इन्हे रहने के लिए एक तंबू तक की व्यवस्था नहीं की गई है. इसलिए सभी लोगों को वहां से 8 किलोमीटर दूर चांदन पैदल आकर रहना पड़ रहा है. वहीं, कई घंटे इंतजार बाद बांका से गाड़ी आने के बाद से उन्हे वापस भेजा जाता है.
बांका: दर्दमारा से बिहार में आने वाले कामगारों की संख्या बढ़ी, सीमा पर व्यवस्था का अभाव
चांदन के निरीक्षण भवन में पेड़ के नीचे 2 बजे सुबह से बैठे 14 कामगार झारखंड के टाटा से खगड़िया जाने के लिए निकले. सरकार ने उन्हे झारखंड दर्दमारा बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया. जहां ठहरने और खाने की व्यवस्था नहीं थी.
8 किलोमीटर पैदल चलकर चांदन पहुंचे
चांदन के निरीक्षण भवन में पेड़ के नीचे 2 बजे सुबह से बैठे 14 कामगार झारखंड के टाटा से खगड़िया जाने के लिए निकले. सरकार ने उन्हें झारखंड दर्दमारा बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया. जहां ठहरने और खाने की व्यवस्था नहीं होने से बिना जांच कराए ही 8 किलोमीटर पैदल चलकर चांदन पहुंचाया गया. जबकि चार छात्रों का एक जत्था झारखंड से दरभंगा के लिए पैदल चल पड़ा. इसकी भी दर्दमारा सीमा पर कोई जांच नहीं की गई और उन्हे चांदन भेज दिया गया. जहां के बीडीओ ने किसी प्रकार की जानकारी से इंकार किया.
भेजा क्वॉरेंटीन सेंटर
वहीं, इसके बाद बस की व्यवस्था कर सभी को बांका भेजा गया. जबकि बड़ी संख्या में गुरुवार को चांदन, गौरीपुर, तुर्की, कुसुमजोरी, शेखपुरा, चांदवारी, पैलवा सहित प्रखंड के कई पंचायत के कामगार भी विभिन्न वाहनों से अपने अपने घर पहुंचे. जिन्हे ग्रामीणों की ओर से क्वॉरेंटीन सेंटर भेज दिया गया. कामगार के क्षेत्र में सभी प्रखंडो में आने वाली संख्या को देखते हुए प्रत्येक प्रखंड में क्वॉरेंटीन सेंटर को चुस्त दुरुस्त करने की व्यवस्था की जा रही है.