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बांका: DDC ने महिलाओं को दी आधुनिक मशीन, रोजाना तैयार होंगे पांच हजार से अधिक पत्तल - बांका पत्तल बनाने की मशीन

बांका में डीडीसी ने महिलाओं को पत्तल बनाने के लिए आधुनिक मशीन दी. इस मशीन से रोजाना पांच हजार से अधिक पत्तल तैयार होंगे. जिला प्रशासन की पहल पर जिला उद्योग केंद्र की ओर से आधुनिक मशीन उपलब्ध कराया गया है.

machine given to women in banka
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Published : Dec 27, 2020, 3:33 PM IST

बांका: जिले का अधिकांश हिस्सा जंगली और पठारी है. इन इलाकों में रहने वाली बड़ी संख्या में महिलाएं जंगल से सखुआ का पत्ता चुनकर पत्तल बनाने का काम करती हैं. यह महिलाएं बमुश्किल रोजाना 40 रुपये ही कमा पाती थीं. इन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए जिला प्रशासन ने ठोस पहल करते हुए पत्तल बनाने के लिए आधुनिक मशीन मुहैया कराने का सिलसिला शुरू कर दिया है.

महिलाओं को सौंपी गयी मशीन
डीडीसी रवि प्रकाश ने समाहरणालय परिसर में कटोरिया प्रखंड के तीनडोभा गांव की महिलाओं को आधुनिक मशीन सौंपा. इस मशीन से महिलाएं रोजाना पांच हजार से अधिक पत्तल तैयार कर सकेंगी.

"कटोरिया, बेलहर, चांदन, फुल्लीडुमर और बौंसी प्रखंड के जंगली और पहाड़ी इलाकों में रहने वाली महिलाएं पत्ता चुनकर पत्तल बनाने की काम करती हैं. लेकिन यह महिलाएं रोजाना मुश्किल से 40 रुपये ही कमा पाती थीं. इन महिलाओं को डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज इनोवेशन स्कीम के तहत पत्तल बनाने के लिए आधुनिक मशीन उपलब्ध कराया गया है"- मो. जाकिर हुसैन, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र

देखें पूरी रिपोर्ट

"इस मशीन के सहयोग से महिलाएं रोजाना पांच से अधिक पत्तल बना सकेंगी. वर्तमान में तीन ग्रुप को पत्तल बनाने के लिए मशीन दिया जाना है. उसी के तहत आज कटोरिया प्रखंड के तीनडोभा गांव की बिहारो पत्ता प्रिंट समूह की महिलाओं को मशीन सौंपा गया है. एक समूह में दस महिलाएं मिलकर पत्तल बनाने का काम करेंगी"- मो. जाकिर हुसैन, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र

परिवार का गुजर-बसर था मुश्किल
जंगल से सखुआ का पत्ता चुनकर पत्तल बनाने वाली महिला संजू देवी ने बताया कि रोजाना 100 पत्तल ही बना पाती थीं. जिससे मात्र 40 से 50 रुपये की आमदनी हो पाती थी. इतने कम पैसे में परिवार का गुजर-बसर भी करना मुश्किल था. जिला प्रशासन की पहल पर जिला उद्योग केंद्र की ओर से आधुनिक मशीन उपलब्ध कराया गया है.

इससे समूह की महिलाएं दस हजार से अधिक पत्तल बनाकर बाजार में बेच सकेंगे. इससे आमदनी भी अधिक होगी और परिवार का रहन-सहन भी सुधरेगा. साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी अब प्रभावित नहीं होगी.

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