बांका: लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी शुरू हो गई है. लेकिन अपने ही जिले में मजदूरों के साथ गैरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. गुरूवार की देर रात तक बांका के पीबीएस कॉलेज परिसर में पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों को ना तो रहने की सुविधा दी जा रही है और ना हीं खाना और पानी के लिए पूछा जा रहा. आलम यह है कॉलेज परिसर में ठहरने वाले प्रवासी किसी तरह रात गुजारने को विवश हैं. वहीं, सुबह में जब घर पहुंचाने या क्वारंटीन सेंटर भेजने की बात आती है तो प्रवासी मजदूरों को भूखे-प्यासे दोपहर तक का इंतजार करना पड़ रहा है.
प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रही है सुविधा, बांका पहुंचने पर खाना-पानी भी नहीं हो रहा है नसीब
लॉक डाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी होने लगी है. लेकिन बांका में इनके लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पाई है. मजदूरों को भूखे-प्यासे रहकर क्वारंटीन सेंटर या घर जाने के लिए अगले दिन तक का इंतजार करना पर रहा है.
'अपने ही घर में हो रहा है गैरों जैसा वर्ताव'
बंगलुरु से बांका पहुंचे प्रवासी मजदूर राजीव साह ने बताया कि रात को ही बस से उतारा गया है. लेकिन यहां जिला प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. रात से ही खाने पीने के लिए तरस रहे हैं. अधिकारी अपने ही घर में हमारे साथ गैरों जैसा वर्ताव कर रहे हैं. बड़ी मुश्किल से बंगलुरु से बांका पहुंचे. लेकिन यहां के जो हालात हैं वह बद से बदतर है. हरियाणा से आए एक अन्य मजदूर मनोज यादव ने बताया कि बांका पहुंचने पर अधिकारियों से घर जाने की लगातार अपील कर रहे हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है. घर जाने की आस में रात से लेकर दोपहर तक भूखे प्यासे सिर्फ इंतजार कर रहे हैं.
'टिकट कटा कर आए हैं वापस'
गुजरात के अमरावती से मुजफ्फरपुर उसके बाद रास्ते बस के सहारे बांका पहुंचे संजय कुमार ने बताया कि शाम को ही पीबीएस कॉलेज परिसर पहुंच चुके हैं. 720 रुपए ट्रेन का किराया देकर किसी तरह पहुंचे हैं. लेकिन, बांका आने पर भूख और प्यास से बेहाल है. रात को भी खाना नहीं मिला. मजदूरों ने बताया कि अपने घर जाने के लिए भूखे-प्यासे इंतजार कर रहे हैं. टीवीएस कॉलेज परिसर में मौजूद अधिकारियों से पूछने पर कोई जवाब नहीं मिलता है.