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बिहार में फिर हुई पुल की चोरी, बांका के कांवरिया ब्रिज का 70% हिस्सा गैस कटर से काटकर ले गए चोर

रोहतास और जहानाबाद के बाद अब बिहार के बांका से पुल चोरी (Bridge Theft In Bihar) की घटना सामने आई है. जिले के कांवरिया पथ पर 2004 में बने लोहे के पुल का 70% भाग चोरों ने काट लिया है. अब इस पर चलना भी मुश्किल हो गया है.

kanwariya Bridge Theft in Banka
kanwariya Bridge Theft in Banka

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Published : May 2, 2022, 1:31 PM IST

Updated : May 2, 2022, 6:05 PM IST

बांकाःबिहार के रोहतास जिले में कुछ दिन पहलेपुल चोरीकी एक घटना ने सबको चौंका दिया था. इस घटना के बाद तो बिहार में जैसे पुल चोरी का सिलसिला ही शुरू हो गया. रोहतास के बाद जहानाबाद और अब बांका से ऐसी ही घटना सामने आई है. जहां चोरों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि वो सरकारी संपत्ति पर ही हाथ साफ कर रहे हैं. बांका में भी 2004 में बना लोहे का पुल चोरी (kanwariya Bridge Theft In Banka) कर लिया गया. यहां भी चोर लोहे के पुल को टुकड़े-टुकड़े कर चोरी कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है.

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गैस कटर से काटा गया 70% भागः बांका जिले के कांवरिया पथ पर 2004 में बने लोहे के पुल पर अब चोरों की नजर पड़ गई है. पुल का अधिकतर भाग चोरी हो चुका है. अगर प्रशासन सतर्क नहीं हुआ तो पुल पूरी तरह गायब हो जाएगा. पुल चोरी की ये घटना बांका जिले के चांदन प्रखंड की है. जहां चोरों द्वारा पुल का 70% भाग गैस कटर से काट लिया गया. लेकिन आज तक किसी पंचायत प्रतिनिधि या पुलिस को इसकी जानकारी तक नहीं हुई. ना ही किसी ने पुल चोरी की सूचना पुलिस को दी.

2004 में तत्कालीन डीएम ने कराया था निर्माणः यह पुल कांवरिया पथ के झाझा और पटनिया को जोड़ने के लिए 2004 में तत्कालीन जिला अधिकारी रशीद अहमद के अथक प्रयास से बनवाया गया था. दरअसल 1995 में आई भीषण बाढ़ के समय विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में कांवरिया को झाझा गांव से पटनिया धर्मशाला जाने के लिए एक बड़े पोखर के बीच से गुजरना पड़ता था. जिसमें अत्यधिक पानी होने के कारण कई बार घटनाएं भी हो जाती थीं. उसी वक्त से यहां एक पुल निर्माण की मांग चल रही थी. कांवरिया की सुविधा को देखते हुए तत्कालीन डीएम द्वारा बेली ब्रिज के तौर पर इस पुलिया का निर्माण कराया गया.

पुल पर पैदल चलना हुआ मुश्किलः पुल निर्माण के बाद बाबा धाम की यात्रा में कांवरिया को काफी आसानी हो गई. बाद में नए कांवरिया पथ के निर्माण हो जाने के बाद यह पुल पूरी तरह उपेक्षित हो गया. साथ ही साथ कुछ गांव तक आने जाने के लिए पक्के पुल का भी निर्माण कर दिया गया. उसके बाद से ही इस लोहे के पुल पर चोरों की नजर गड़ गई. पुल के साइड और फुटपाथ का ज्यादातर हिस्सा चोरी कर लिया गया है. जिसे अब पैदल चलना भी उस पर मुश्किल हो गया है.

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नहीं रहेगा पुल का नामोनिशानःबताया जाता है कि कांवरिया पुल का बचा हुआ शेष भाग भी अब धीरे-धीरे चोरों द्वारा काटा जा रहा है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कुछ महीनों में इस पुल का नामोनिशान भी नहीं रहेगा. इस संबंध में थाना अध्यक्ष नसीम खान ने बताया कि ''कांवरिया पथ पर ऐसे पुल की उन्हें कोई जानकारी नहीं है, ना ही किसी ने आज तक लोहे के पुल के चोरी होने की कोई सूचना दी है. अब उस पर नजर रखी जाएगी.''

''कांवरिया पथ पर लोहे के उस बेली ब्रिज का निर्माण तत्कालीन जिलाधिकारी रसीद अहमद द्वारा लगभग 46 लाख की लागत से करवाया गया था. जिसकी लम्बाई लगभग 80 फिट और चौड़ाई 15 फिट थी. लेकिन नया कांवरिया पथ बनने के बाद उसकी उपयोगिता समाप्त हो गयी है. उसी के लोहे के चोरी का मामला पता चला है. जिसकी जांच कराई जाएगी.''- राकेश कुमार, बीडीओ, चांदन

''बेली ब्रिज कभी कांवरिया पथ के लिए काफी उपयोगी था, जो झारखंड बिहार पर अवस्थित होकर बिहार से कांवरिया को झारखंड में प्रवेश कराता था. नया पथ बनने से इसकी उपयोगिता समाप्त हो गयी. प्रशासन की नजर भी इस पर नहीं रहने से अब धीरे धीरे चोर इसे खोल कर ले जा रहे हैं. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.''- पलटन प्रसाद यादव, पूर्व प्रखंड प्रमुख, चांदन

इससे पहले भी हुई पुल चोरी की घटनाः बता दें कि इससे पहले बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज स्थित आदर्श ग्राम अमियावर में 60 फीट लंबा पुल चोरी कर लिया गया था. जिसके बाद से मामले को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर था. इस मामले में कर्मचारी और पदाधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तारी भी की गई. इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों ने रोहतास की घटना से सबक नहीं लिया. इसके तुरंत बाद जहानाबाद-बिहारशरीफ शहर को जोड़ने वाले दरधा नदी पर ब्रिटिश काल के लोहा के पुल को चोरों द्वारा काटे जाने की खबर आई. अब बांका में भी चोरों ने पुल पर हाथ साफ किया है.

अधिकारियों और चोरों की मिलीभगत: लोगों का कहना है कि पथ निर्माण विभाग के पदाधिकारी, कर्मचारी और चोरों की मिलीभगत से यह कारनामा हो रहा है. अगर इसकी जांच कराई जाए तो इसमें बड़े से लेकर छोटे पदाधिकारी की मिलीभगत और कारनामे उजागर हो सकते हैं, लेकिन जो भी हो अगर विभाग द्वारा इसी तरह लापरवाही बरती गई तो वह दिन दूर नहीं जब चोर कई पुराने पुलों को काटकर बेच देंगे.

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Last Updated : May 2, 2022, 6:05 PM IST

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