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बांकाः कोरोना का नया स्ट्रेन युवाओ के लिए घातक, 60 फीसदी मरीज हैं 50 साल से कम उम्र के - कोरोना मरीज

अप्रैल माह में सामने आए नए कोरोना मरीजों की औसत उम्र का आकलन करने पर यह तथ्य सामने आया है कि करीब 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से कम उम्र के हैं. जबकि 50 वर्ष से ऊपर उम्र के करीब साढ़े 39 प्रतिशत बुजुर्ग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.

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नया स्ट्रेन युवाओ के लिए घातक

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Published : Apr 24, 2021, 2:55 AM IST

बांकाः जिले में कोरोना के नए स्ट्रेन ने आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. कोरोनाकी दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा युवाओं को ही अपना शिकार बनाया है. अप्रैल माह में नए मरीजों की औसत उम्र का आकलन करने पर यह तथ्य सामने आया है कि करीब 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से कम उम्र के हैं. जबकि 50 वर्ष से ऊपर उम्र के करीब साढ़े 39 प्रतिशत बुजुर्ग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं. जबकि 10 साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना संक्रमणकी दर एक फीसदी से भी कम है.

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60 फ़ीसदी मरीज 50 साल से नीचे के
चिकित्सकों का मानना है 50 साल से कम उम्र के लोग अपनी लापरवाही की वजह से कोरोना के शिकार हुए हैं, क्योंकि जब संक्रमण काफी कम था, उस समय युवाओं ने इसकी गंभीरता को नहीं जानते हुए मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया. 1 अप्रैल से अब तक करीब 700 कोरोना के मरीज मिले हैं, जिनमें 60 फ़ीसदी मरीज 50 साल से नीचे के हैं.

दूसरी लहर में ज्यादातर युवाओं ने ही हारी जिंदगी की जंग
कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि इसमें ज्यादातर युवाओं ने ही अपनी जान गंवाई है. 10 दिसंबर 2020 तक जहां 21 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी- उसमें 15 कोरोना के मरीज 50 साल से ज्यादा उम्र के थे. जबकि 6 मरीज 50 साल से नीचे के थे. वहीं 2021 के अप्रैल माह में ही 18 कोरोना मरीजों की जान जा चुकी है. इनमें सात कोरोना के मरीज 50 साल से ऊपर उम्र के हैं. जबकि 11 कोरोना मरीज 50 साल उम्र से नीचे के हैं.

इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि कोरोना कितना खतरनाक हो चुका है और अब कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रहा है. सदर अस्पताल स्थित कोविड सेंटर में करीब एक दर्जन कोरोना के मरीज भर्ती हैं. इनमें से आधे दर्जन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. बांकी कोरोना मरीज को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है.

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इलाज में देरी की वजह से जान गंवा रहे हैं युवा
शहरी पीएचसी प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में युवा वर्ग के लोग काफी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं, क्योंकि जब कोरोना का पिक कम हुआ था तो 50 साल से कम उम्र के लोगों ने मास्क पहनना छोड़ दिया एवं शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं किया. संक्रमित होने के बावजूद जांच कराने में देरी होने पर भी कई मरीजों की जान गई है. अगर सही समय पर जांच करा कर इलाज शुरू किया जाए तो काफी मरीजों की जान बच सकती है. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में ओल्ड एज के लोगों को टीका दिया गया, जिसकी वजह से दोनों डोज लेने के बाद काफी कम संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं, वहीं सरकारी आदेश के बाद 1 मई से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगने के बाद युवाओं में भी संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा.

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