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बांका में अगवा डॉक्टर का 48 घंटे बाद भी पुलिस नहीं लगा पाई सुराग - अगवा डॉक्टर का बांका पुलिस नहीं लगा पाई सुराग

बांका के बेलहर थाना इलाके से अपहृत ग्रामीण चिकित्सक उमेश वर्णवाल ( Doctor Kidnapped In Belhar ) का दो दिनों बाद भी कुछ सुराग नहीं मिल पाया है. बता दें कि गुरुवार रात बोलेरो सवार अपराधियों ने चिकित्सक को उनके घर से उठा लिया. घटना की जानकारी के बाद से बांका पुलिस लगातार छापेमारी अभियान चला रही है. लेकिन अब तक ग्रामीण चिकित्सक का कोई सुराग नहीं मिला है. पढ़िए पूरी खबर..

48 घंटे बाद भी अगवा डॉक्टर का बांका पुलिस नहीं लगा पाई सुराग
48 घंटे बाद भी अगवा डॉक्टर का बांका पुलिस नहीं लगा पाई सुराग

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Published : Jan 22, 2022, 1:02 PM IST

बांका:बिहार केबांका जिले के चांदन प्रखंड अंतर्गत (Crime In Banka) बेलहर थाना के नक्सल प्रभावित चतराहन गांव से अगवा (Doctor Kidnapped By Criminals In Banka) ग्रामीण चिकित्सक उमेश वर्णवाल को दो दिनों बाद भी कुछ पता नहीं चल पाया है. बीते गुरुवार को अपराधियों ने गुरुवार रात घर से अगवा कर लिया था. घटना की जानकारी के बाद से बांका पुलिस लगातार छापेमारी अभियान चला रही है. लेकिन घटना के 48 घंटे बाद भी पुलिस को कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.

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घटना को नक्सलियों ने या फिर अपराधियों ने अंजाम दिया है, इसका पता नहीं चल पाया है. चर्चा फिरौती के लिए अपहरण करने की भी हो रही है. लेकिन डॉक्टर के परिजनों ने किसी से कोई दुश्मनी से भी इंकार किया है. चुनावी रंजिश में अपहरण की भी आशंका जताई जा रही है. बताया जाता है कि, अपहृत चिकित्सक मूलरूप से जमुई जिले के झाझा प्रखंड अंतर्गत रजला गांव के रहने वाले हैं, करीब डेढ़ दशक से बांका के चतराहन गांव में रहकर घूम-घूमकर लोगों का इलाज करते थे. अभी हाल में ही उन्होंने अपना क्लीनिक भी खोल लिया था. डॉक्टर उमेश वर्णवाल अपने बच्चों की शादी के बाद पत्नी के साथ चतराहन में ही रह रहे थे.

अपहृत उमेश वर्णवाल की रेजला बाजार में कीमती जमीन है. जिस पर आधा दर्जन से अधिक दुकानें बनी हुई है.डेढ़ साल पूर्व चतराहन में अपना जमीन खरीद लिया. जहां मकान का निर्माण किया. उसी मकान के आधे हिस्से को क्लीनिक का रूप दे दिया गया. तीन पुत्रियों की शादी हो जाने और छोटी पुत्री के पटना में पढ़ाई करने के कारण पत्नी गांव में अकेली हो गई थी. जिस कारण एक साल पूर्व ही पत्नी को भी चतराहन ही बुला लिया. सभी लोग खुशहाली की जिंदगी जी रहे थे. क्लीनिक में भी मरीजों की दिनभर भीड़ लगी रहती थी. बताया जाता है कि अपहृत का गांव में लोग खूब सम्मान करते थे.

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जानकारी के मुताबिक लेकिन पंचायत चुनाव में उनके एक करीबी खड़े हो गए थे. जिनका खुलकर समर्थन किया था. उनके समर्थित प्रत्याशी की उनकी लोकप्रियता कारण जीत हो गई थी. कुछ विपक्षियों में इस बात को लेकर नाराजगी भी थी. आशंका जताई जा रही है कि चुनावी रंजिश में भी घटना को अंजाम दिया जा सकता है. हालांकि इसकी कोई पुष्टि भी नहीं हो पा रही है. इधर, पुलिस एसएसबी जवानों के साथ मिलकर विभिन्न स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चला रही है. लेकिन अभी कोई सुराग हाथ नहीं लगा है. अपहृत का मोबाइल फोन भी घर में ही छूट गया है.

बता दें कि, घटना के दिन डॉक्टर उमेश वर्णवाल खाना खाकर घर में बैठे ही थे, तभी एक अज्ञात व्यक्ति ने आवाज दिया और दुर्घटना में घायल एक व्यक्ति की इलाज करने की बात कही. जैसे ही डॉक्टर दरवाजा खोलकर बाहर निकले, उन्हें घसीटकर बोलेरो पर बिठाकर बोड़वा झाझा की तरफ निकल गए. भीखा गांव तक बोलेरो को देखा गया है और अपराधियों की संख्या 4 बताई जा रही है. वहीं, आशंका जताई जा रही है कि कोई नक्सली बीमार पड़ा होगा, जिसके इलाज के लिए नक्सलियों द्वारा डॉक्टर का अपहरण किया गया होगा. दरअसल जमुई के चंद्रमणडीह थाना क्षेत्र से एक डाक्टर की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन में बीमार पड़ने वाले नक्सलियों के इलाज के लिए कोई चिकित्सक तैयार नहीं हो रहा है.

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