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'समाज में परिवर्तन की जरूरत, ताकि बच्चों के विरुद्ध न हो सके कोई अपराध'

बांका व्यवहार न्यायलय परिसर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजित किया गया. जिसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलराम दुबे ने कहा कि बच्चे को ऐसे माहौल में नहीं जाने दें जहां बच्चे की प्रवृत्ति अपराधिक हो जाए. सामूहिक रूप से सभी को संकल्प लेने की जरूरत है कि बच्चों के कल्याण के बारे में सोचेंगे. और अपने पद और हैसियत के हिसाब से कल्याण के लिए कुछ ना कुछ करते रहेंगे.

बांका
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Published : Nov 8, 2020, 4:50 PM IST

बांका: लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के विभिन्न प्रावधानों को लेकर बांका व्यवहार न्यायालय परिसर में एक दिवसीय संवेदीकरण सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

कार्यक्रम में मुख्य रुप से जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलराम दुबे के अलावा तमाम जज और एसपी अरविंद कुमार गुप्ता सहित सभी थानाध्यक्ष शामिल हुए.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलराम दुबे

'बच्चों के प्रति नजरिया बदलने की है जरुरत'
जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलराम दुबे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट और राज्य सरकार से लेकर विधायिका तक ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है. आवश्यकता है कि प्रबुद्ध लोगों के साथ-साथ सोसायटी में रहने वाले हर वर्ग के लोग बच्चों को समझने के लिए अपना मस्तिष्क परिवर्तन करें. ताकि बच्चों के विरुद्ध कोई अपराध न हो सके. बच्चों के साथ बात करने के लिए खुद बच्चा बनकर सोचने की आवश्यकता है.

बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराध को कम करने की मुहिम

बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराध को कम करने की मुहिम
एसपी अरविंद कुमार गुप्ता ने कहा कि संवेदीकरण कार्यक्रम का महत्व तभी आगे बढ़ पाएगा जब हम प्रण लेकर लैंगिक अपराध और पाक्सो के कांडों को सही दिशा में जांच कर मुकाम तक पहुंचाएंगे. अन्यथा भाषण सुनने से कोई फायदा नहीं है. इन दोनों कानून को लेकर पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हर महीने इन कांडों की समीक्षा होती है और पुलिस मुख्यालय में आईजी वीकर सेक्शन सृजित है. इनके द्वारा भी समीक्षा की जाती है. दोनों कानून की समीक्षा वृहत स्तर पर हो रही है और कोर्ट में भी एडीजे फर्स्ट की देखरेख में इसकी सुनवाई होती है. इसलिए इसकी गंभीरता को समझने की जरूरत है.

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