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बांका की 'लाइफलाइन' जमींदोज, डायवर्जन के भी बहने का खतरा, 5 लाख लोगों के आवागमन पर संकट

बांका (Banka) में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में अब लोगों को चांदन नदी पर बने पुल के ध्वस्त होने के बाद डायवर्जन के भी बह जाने का डर सताने लगा है. करीब 5 लाख लोगों का आवागमन पर संकट के बादल मंडराने लगा है.

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Published : Jun 13, 2021, 6:14 PM IST

बांका:बिहार के बांका जिले में झारखंड के रास्ते मानसून ने दस्तक दे दी है और पिछले दो दिनों से लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही है. दो दिनों में 70 एमएम से अधिक बारिश हो चुकी है. लगातार मानसूनी बारिश के बीच अब लोगों को चांदन नदी पार कर जिला मुख्यालय आने की चिंता सताने लगी है.

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5 लाख लोगों के आवागमन पर संकट
डेढ़ साल पहले जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाला चांदन नदी पर बना पुल जमींदोज हो चुका है. बारिश के बाद डायवर्जन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है.

लगातार भारी बारिश होती रही तो वह दिन भी दूर नहीं जब डायवर्जन भी चांदन नदी की तेज धारा में बह जाएगा. यदि डायवर्सन बह गया गया तो चार प्रखंड के करीब 5 लाख की आबादी को जिला मुख्यालय आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

डायवर्जन के भी बहने का खतरा

अधर में लटका पुल निर्माण कार्य
हालांकि, चांदन नदी पर पुल निर्माण को लेकर 54 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तत्कालीन मंत्री नंदकिशोर यादव ने निर्माण कार्य की आधारशिला भी रखी थी, लेकिन उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई है.

अधर में लटका पुल निर्माण कार्य

डायवर्जन के बह जाने का खतरा
चांदन नदी के उस तरफ दर्जनों ऐसे गांव हैं, जिनका गुजारा बगैर बांका आए नहीं हो सकता है. बारिश शुरू होने के साथ ही उनके ऊपर बांका न आ पाने को लेकर खतरा मंडराने लगा है.

किसी कार्य से बांका आ रहे अवधेश कुमार ने बताया कि डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी चांदन नदी पर पुल नहीं बन पाया है. इसी जमींदोज पुल से होकर आना जाना पड़ रहा है.

''डायवर्जन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. इसी तरह बारिश होती रही तो एक-दो दिनों में डायवर्सन भी नदी के तेज बहाव में बह जाएगा और उसके बाद भगवान भरोसे ही बांका आना-जाना हो पायेगा.''- अवधेश कुमार, स्थानीय

''ओवरलोड बालू लदे वाहनों के परिचालन के चलते चांदन नदी पर बना पुल जमींदोज हो गया. जिसके बाद से लोग आवाजाही को लेकर परेशानी झेल रहे हैं. डायवर्जन भी बना उसमें करोड़ों रुपए खर्च किया गया, लेकिन उसकी स्थिति भी बर्बाद हो चुकी है. जोरदार बारिश हुई तो डायवर्जन भी बह जाएगा. इस मामले में सरकार सोई हुई है और आम लोग परेशान हो रहे हैं.''- मो. गुलफराज, स्थानीय

आवागमन पर संकट

ढाई करोड़ से बना डायवर्जन भी क्षतिग्रस्त
विधानसभा चुनाव के दौरान पुल निर्माण को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था. लोगों को दिलासा देने के लिए पुल निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हुई, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सरकार गठन के बाद मामला ठंडा पड़ गया.

लोगों में आक्रोश को शांत करने के लिए स्थानीय विधायक रामनारायण मंडल की पहल पर लगभग ढाई करोड़ की लागत से चांदन नदी पर डायवर्जन बनवाया गया. लेकिन पुल निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और अब भी निर्माण कार्य फाइलों में ही लटका हुआ है.

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मानसून दस्तक दे चुका है और ऐसे में डायवर्जन के बह जाने का खतरा मंडराने लगा है, जिसे लेकर जिले की एक बड़ी आबादी चिंतित है. सुगमता से जिला मुख्यालय आने का जरिया भी अब समाप्त हो जाएगा. अगर डायवर्जन बह गया तो 40 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर लोगों को बांका आना होगा, ये सोचकर लोग ही परेशान हैं.

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