बांका: बिहार के बांका के अमरपुर प्रखंड मुख्यालय परिसर स्थित निसाहयों का आश्रय स्थल रैन बसेरा वीरान पड़ा है. व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने से इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है. हाल यह है कि पूरा रैन बसेरा खाली पड़ा हुआ है. जबकि रैन बसेरा के संचालन में प्रतिमाह कार्यरत कर्मी को 50 हजार रुपये से अधिक की राशि का नगर पंचायत द्वारा भुगतान भी किया जा रहा है.
बढ़ती ठंड में खाली है रैन बसेरा: इसके अलावा बिजली बिल एवं रखरखाव पर भी अतिरिक्त खर्च का भी बोझ है. रैन बसेरा का निर्माण शहर में गरीब तबके के लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें सस्ते दर पर ठहरने और खाना देने के लिए किया गया है. लेकिन बढ़ते ठंड के बाद भी रैन बसेरा खाली पड़ा है.
क्या कहती हैं प्रबंधक कंचन शर्मा:इस पूरे मामले पर रैन बसेरा की प्रबंधक कंचन शर्मा का कहना है कि" पिछले एक महीने में 146 लोगों ने रैन बसेरा में ठहराव किया है. रैन बसेरा में 50 बेड हैं. यहां ठहरने आने वाले लोगों को निशुल्क बेड, कंबल आदि दिया जाता है. भोजन के लिए 40 रुपये शुल्क लिया जाता है. इसके अलावा प्रतिदिन दो निराश्रित को निशुल्क भोजन कराया जाता है."
प्रचार-प्रसार की कमी: रैन बसेरा का सही इस्तेमाल ना होने के पीछे का कारण प्रचार-प्रसार की कमी को माना जा रहा है. बकि रैन बसेरा के समीप रेफरल अस्पताल एवं निबंधन कार्यालय भी हैं, जहां प्रतिदिन तीन सौ से अधिक लोग आते हैं. खासकर रेफरल अस्पताल में यात्री शेड या फिर मरीज के स्वजन के लिए ठहरने की किसी प्रकार की सुविधा नहीं होने से ठंड में ठिठुरने को लोग मजबूर हैं.