अररिया: जिले में हर साल लोगों को बाढ़ का शिकार होना पड़ता है. नेपाल से निकली दर्जनों पहाड़ी नदियां जिले के लिए बारिश के दिनों में मुसीबत बन जाती है. बाढ़ की रोकथाम के लिए कई बांध का निर्माण कराया गया है. इन बांधों से कुछ हद तक बाढ़ से होने वाली नुकसान को कम किया जा सका है. लेकिन ये बांध भी ज्यादा समय तक बाढ़ की त्रासदी को झेल नहीं पाते हैं.
अररिया: 2017 से ध्वस्त हुए बांध का सालों बाद भी नहीं हो सका मरम्मत, बाढ़ का मंडरा रहा खतरा
अररिया में ध्वस्त बांध की मरम्मत कराने को लेकर पिछले तीन साल से धोकड़िया के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, विधायक ने कहा कि हमने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था.
प्रलयंकारी बाढ़ ने ध्वस्त हुआ बांध
बताया जा रहा है कि मदनपुर पूर्वी पंचायत के धोकड़िया गांव के करीब मारिया बकरा नदी पर 2008 में बांध का निर्माण कराया गया था. इस बांध को 2017 में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने ध्वस्त कर दिया था. जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि विधायक सांसद और प्रशासनिक अधिकारी से लगातार इसकी मरम्मत के लिए गुहार लगा रहे हैं. लेकिन आज तक इसकी मरम्मत नहीं हो सकी है. विधायक अबिदुर रहमान ने बताया कि कई बार इस मसले को हमने विधानसभा में उठाया है. उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से कोशिश की जा रही है कि जल्द ही इस बांध का निर्माण कराया जा सके.
सालों बाद भी नहीं हो सका बांध का निर्माण
विधायक ने कहा कि इस टूटे बांध से चार सौ साल पुराने ऐतिहासिक मदनेश्वर धाम मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा है. इसको लेकर डीएम से भी बात की गई है. लेकिन इस समय वह कोरोना वायरस से जुड़े कार्यों में उलझे हुए हैं. उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री को भी इसकी जानकारी दी है. इस बांध के ध्वस्त हो जाने से बाढ़ के पानी का दबाव अररिया प्रखंड के मदनपुर पूर्वी और पश्चमी सहित गम्हरिया, कसैला, सालयगढ़, तरौना भोजपुर, बोची, रामपुर पूर्वी और पश्चमी पंचायतों पर ज्यादा पड़ता है.