अररिया: बिहार के अररिया में दीपावली के करीब आते ही कुम्हारों की चाक (Potters in Araria) में तेजी आ गई है. कुम्हारों का पूरा परिवार दिये के साथ दिवाली और छठ में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के उपकरणों को बनाने में जुट गया है. मिट्टी के बर्तन और दिये बनाने वाले कुम्हारों का कहना है कि दीपावली के करीब आते ही हमें अपनी संस्कृति याद आने लगती है और नाम मात्र के मिटटी के दीये और दूसरी चीजों को लोग खरीदते हैं.
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चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक ने मारी कुम्हारों के पेट पर लात: अररिया में नगरपरिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 25 में कुम्हारों की छोटी सी बस्ती है, जहां नाम मात्र ही इनका घर बचा हुआ है. पहले यहां सभी मिट्टी का सामान बनाया करते थे, लेकिन जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक और चाइनीज बिजली के सामानों की बिक्री बढ़ी है वैसे ही कुम्हारों के सामने फाकाकशी की नौबत आने लगी है. अब इस कारोबार से जुड़े लोग सिमट कर रह गए हैं, उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है.